देरी का कारण
देरी का कारण
"वाह मान्यवर पिताजी के श्राद्ध का बहुत अच्छा आयोजन आपने किया है”, पंडित जी ने खुशी प्रकट करते हुए कहा।
"जी हाँ इसी बहाने पुरखो को याद करने और अपना प्रेम प्रकट करने का अवसर भी प्राप्त हो जाता है”, पंकज ने मुस्कुराते हुए अपनी बात रखी।
"ईश्वर ऐसी औलाद सब को दे।” आसपास खड़े लोगो के मुख से अनायास ही निकल पड़ा।
दीनू उनका पुराना नौकर ये सब बातें खड़ा-खड़ा सुन रहा था।
पंडित जी ने पूजा की तैयारी करते हुए पूछा कि, “माताजी अब तक क्यो नही पहुँची, पूजा का मुहूर्त है।”
तो दीनू बोल पड़ा, "असल मे वृद्धाश्रम यहां से काफी दूर है, कार तो भेजी है मगर आने में देर हो ही जाती है।"