आहत
आहत
बड़ी मुश्किल से साम्या अपनी आठ वर्ष की बेटी लिलि को लेकर बस में चढ़ पाई ,और दोनों माँ बेटी सीट खाली न होने की वजह से खड़ी ही रहीं ,
जहाँ साम्या खड़ी थी ,वहीं सीट पर कोई पैंसठ-सत्तर साल के बुजुर्ग बैठे हुए थे ,कहने लगे ---
''आज कल इस त्यौहार के सीजन में वाहनों की बड़ी किल्लत है ---।''और साम्या की तरफ़ देखने लगे तो साम्या और आस-पास खड़े लोग मुस्करा दिये ।''आजा बेटा तू मेरे पास बैठ जा -- ।''बुजुर्ग ने लिलि के सिर पर हाथ फेरते हुए कहा ,तो साम्या ने लिलि को उनकी गोद में बैठा दिया ।
अगले पड़ाव पर वह बुजुर्ग उतर गये बस से तो साम्या उनकी सीट पर बैठ गयी और लिलि को गोदी में बैठा लिया ।
''मम्मी वो दादाजी अच्छे नहीं थे --।''
''क्यों क्या -हुआ --?'' साम्या ने आश्चर्य से पूछा ।
'उन्होने मुझे नोचा था ---।''
'कहाँ --?''साम्या ने डर से काँपते हुए कहा ।
''यहाँ --पेट पर -- ।''जब साम्या ने लिलि की फ्रॉक उठाकर देखा तो वह स्तब्ध रह गयी ,सच में बहुत सारा बीच लाल हो रहा था पेट का ।
''बेटा आपने बताया क्यों नहीं --?''साम्या ने परेशान होते हुए पूछा ।
''फिर मैं कहाँ बैठती --?''लिलि की यह बात सुन साम्या बहुत ही आहत और अचम्भित हुई --इतनी छोटी लिलि समझौता करना कैसे सीख गयी --?
और उसका मन बहुत ही परेशान हो गया उस व्यक्ति की नीचता और दुष्टता ने साया को अंदर तक हिला दिया साम्या को अभी तक यकीन नहीं हो पा रहा था कि इतना बुजुर्ग व्यक्ति ऐसी हरकत करेगा छि---उसने लिलि को सीने से चिपका लिया ।