Rashi Singh

Tragedy

5.0  

Rashi Singh

Tragedy

औरत जात

औरत जात

4 mins
861


आज हरिया के घर में बड़ी चहल पहल थी। अचानक ही ढोलक की थाप से घर गूँज उठा। आदतन मोहल्ले वालों के मन में जिज्ञासा बलबलाने लगी कि आखिर हुआ क्या। अब यह ठहरा गाँव कोई बड़ा शहर तो नहीं कि घर जाने की तो छोड़िए हाल चाल भी पूछने में शर्म आती है, स्टैंडर्ड गिरता है। ​सन्नो ताई हरिया के घर में बेखौफ घुस गयीं।

​"का बात है जगनिया ?" हरिया की बीवी से वहीं आंगन में पड़ी टूटी खाट पर बैठते हुए कहा। छड़ी को पास में ही टिका लिया।

​"अरे ताई तोहे न पतो ?"

​"का..?"

​"अपनो मगलू बहुरिया ले आओ "

​"बहुरिया, पर बाकू का सिक्का भयो कहीं से..?" सन्नो ताई ने आश्चर्य से पूछा ।

​"अरे नाय, मोल लायो है बहुरिया, और बा देख, मुन्ना भी है दोय साल को l" जगनिया ने हंसते हुए कहा ।

​"अरी लौड़ियॉँ ढोलक बजा, क्यों बंद कर दई ? जगनिया चिल्लाई।

​फिर तो एक एक करके मोहल्ले की सारी महिलाएं इकट्ठी होय गयीं घर आकर।

​इधर घूँघट में नई दुल्हन को बड़ी अकुलाहट हो रही थी। सोच रही थी यहां से अच्छी तो वहाँ थी कम से कम अब तक चार छः बीडी तो चूस चुकी होती।

​सब नाच गा रहे थे। बहु के साथ आया तीन साल का मुन्ना बुखार से तप रहा था। इधर मंगलू भी सुहाग रात मनाने के लिए शाम से ही ठर्रा और चिलम का जुगाड़ करने निकल गया था। और मुन्ने की माँ बेचारी रीति रिवाजों में व्यस्त। ​रात भर मुन्ना बुखार से तड़पा और रो रोकर उसके प्राण पखेरू उड़ गए।

​सुबह को एक मैले से कपड़े में उसको लपेटकर गाँव के बाहर बने तालाब के किनारे दबा आए सब लोग। ​बीच बीच में नई दुल्हन के रोने की आवाज़ आ जाती थी मगर खुशी की दुहाई दे चुप करा दिया जाता।

​उम्र तो उसकी कोई चालीस के पार ही होगी। सुना था कि उसका पहला मर्द किसी शहर में रिक्शा चलाता था, नशेड़ी भी, पंद्रह सोलह साल की उम्र में घर से भागकर उससे शादी कर ली थी। हर साल बच्चा होता तीन जवाँ लड़के जिंदा थे कई मर गए थे उनमें से मुन्ना भी एक था।

​"सुनी है, बहु पेट से है ?" उपले थाप रही पड़ोसन ने जगनिया से पूछा।

​"हाँ है तो। पर लागत नाय कि कोई खुशी होगी बाए। बड़ी बुरी औरत है। हमारो मंगलू बहुत खुश है। एक लौड़ा है जाएl "जगनिया ने मुँह बनाया उपले सा।

​"बहुत बुरी औरत है। हमेशा अपने पहले बालकों को याद करत रहते l "जगनिया ने फिर मुँह बनाया।

​"ऐसी तो ऐसी ही होत है, खरीदी भई, अरे बाके आदमी ने क्यों बेच दई। मालूम न करी ?" पड़ोसन की दिलचस्पी और बढ़ गई थी।

​"का पते, ऐसे ही नक्शे दिखात होयगी। अरे बड़ी बुरी है मंगलू को आज कल पास नाय आन देत कि पेट से है। भला आदमी को नाराज़ करत है का कोई औरत जात ?" जगनिया ने नारी जाति की परम्परागत तस्वीर पेश करते हुए कहा ।

​"फिर ?"

​"फिर का, फिर पिटत है, रात तो मंगलू ने डंडा ही डंडा बजाए, फिर चिल्लाए रही l "जगनिया ने मुस्कराते हुए कहा।

​"अरे नाय, ऐसे हाल में, ऐसे मार पीट अच्छी न है l" पड़ोसन ने इंसानियत दिखाई जिसे सुनकर वह भड़क गई।

​"अरे औरत जात पाँव की जूती होत है, और जूती पाँव में ही जंचत है, खोपड़ी पर नाय। "जगनिया ने औरत जात को परिभाषित करते हुए कहा।

​"जो तो ठीक है, पर मर मरा गई तौ का होयगौ ?"

​"का होयगौ का ऐसी हजारों।" जगनिया ने पानी की बाल्टी में गोबर सने हाथ धोते हुए कहा।

​"मैने तो सुनाए दई मग्लूआ कौ, कि जो मर्द औरत को बस में न कर सकत है। अपने डंडा के जोर से लानत है बापै। बाई दिन से पेलने 

​लागो l"

​"पर हम सब औरत ही तो हैं।" पड़ोसन ने सकुचाते हुए कहा मगर जगनिया कुछ न बोली बस आँखें निकाल कर पड़ोसन की तरफ देखने लगी।

​कुछ दिनों बाद नई बहु ने लड़के को जन्म दिया सब घर में बहुत खुश। लल्ला को सास संभालने लगीं रात को क्योंकि रात को सिर्फ नई बहु मंगलू की होती थी। लड़का भूख से तड़पता, चिल्लाता और एक दिन वह भी गुजरा गया।

​"जो तौ पापिन है, देखो अपने लौड़ा को ही खाए गई। लल्ला निकाल दे जाए घर से l"

​"हाँ जा अब तू यहां से, मंगलू ने लात मारकर बाहर निकालते हुए कहा सिर दीवार से जा टकराया और प्राण पखेरू उड़ गए। गाँव वालों ने गाँव की बदनामी होगी अगर पुलिस आई तो दफ़ना दिया, जल्दी से, बेचारी बुरी औरत, औरत जात।



Rate this content
Log in

Similar hindi story from Tragedy