दिल से दिल की बात कहता हूँ
दिल से दिल की बात कहता हूँ
सच कहूँ तो आज दिल से दिल की बात तुमसे कह ही देता हूँ ..!
सच कहूँ तो तुमसे नाराज़ होने में हमें बहुत आनंद आता है, मैं जब रूठा हुआ होता हूँ, तब तुम मेरे आसपास घूमती हो, मुझे मनाती हो मुझपर जान छिड़कती हो फिर तुम खुद रूठ जाती हो, तो तुम्हें मनाना हमें अच्छा लगता है..तुम्हारे उस झूठे गुस्से से रूठा हुआ चेहरा बहुत ही प्यारा लगता है, पर क्या करे तुम्हें मनाये बिना हमें चैन भी नहीं आता, मैं तुम्हें हर वो बात कहना चाहता हूँ जिसे सुन कर तुम्हारा दिल खुश हो जाता है चेहरे पे प्यारी सी खूबसूरत हँसी आ जाती है, जब कभी मैं रूठ जाता हूँ तो तुम मुझे मनाते हुए बहुत अच्छी लगती हो तुम्हारा मेरे प्रति चिंता और फ़िक्र देख और साथ साथ तुम्हारा यूँ मुझे मनाना इतना भला लगता है कि मन ही नहीं होता है की मान जाऊँ मैं, जब नहीं मानता हूँ तब तुम्हारी आवाज़ रुआसी हो जाती है तुम्हारी नाक लाल हो जाती है हां हां हां उफ़ उस पल में तुम कितनी खूबसूरत और प्यारी लगती हो वाह ..!
पर हाँ यह भी सच है की तुम जब तुम उदास होती हो तो मैं बौखला जाता हूँ, बदहवास सा हो जाता हूँ हवा भी कुछ भारी सी लगने लगती है तुम्हारी खामोशी में कितना ख़ालीपन लगता है, तुम मेरे नज़दीक होकर भी दूर हो ये महसूस होने लगता है, दिल से सच कहूँ तो मुझे मनाना नहीं आता मिन्नते करना भी नहीं आता सच तो यह है कि सिवा प्यार के हमें कुछ भी नहीं आता, मेरी हर ख़ुशी तुम्हारे ही पास है अगर जो कभी तुम न मुस्कुराओ तो मैं कहाँ से खुशी लाऊंगा जिंदगी जीने की वजह कहाँ से लाऊंगा, उस वक़्त में उस पल में सच कहूँ तो मैं तुमसे भी अधिक उदास हो जाता हूँ बस तुम कभी उदास मत होना मेरी ज़िदगी के लिए ज़रुरी है तुम्हारी मुस्कुराहट और तुम्हारी ख़ुशी..!