भीतर सुरक्षित है
भीतर सुरक्षित है
मौत के इस ख़ौफ़नख मज़रमे कब कहा किसकी बारी आ जाये ये मालूम नहीं, ज़िन्दगी के साथ वक़्त ने भी क्या षड्यंत्र रचा है हर एक इंसान के लिए ये धैर्य एवं संयम की परीक्षा है इस भयावह स्तिथि से निपटने के लिए बस जहां है जैसे भी है सावधानी से रहे मस्त रहे और खुश रहे !
( घरमे ही रहे अपने भीतर ही आप सुरक्षित रहसकते है बाहर घूम रहा है राक्षश कब लेले चपेटमे ये मालूम नहीं )