अतीत में जीवन के रंग
अतीत में जीवन के रंग
जाने क्यों लेकिन कभी-कभी, दिल बहुत मचलता है,
अनजाने ही ज़िन्दगी की, किताब के पन्ने पलटता है।
ज़िन्दगी जिसको जीकर, बहुत आगे निकल आये हैं,
अतीत होने के बाद, उसमें झाँकने का दिल करता है।
अतीत जिसमें जीवन के, रंगों का समागम होता है,
हर रंग अपनी अलग कहानी, बयाँ कर रहा होता है।
कोई किसी पर भारी नहीं, कहीं किसी से यारी नहीं,
अस्तित्व बचाके सबके साथ रहना, अच्छा लगता है।
हरा रंग जीवन के विकास, की दास्ताँ गुनगुनाता है,
केसरिया जीवन संघर्ष की, गाथा के गीत गाता है।
बसंती बचपन की मीठी, यादों से रूबरू कराता है,
सफ़ेद बोलने के इंतज़ार में, बेकरार नज़र आता है।
सबके साथ एक और रंग है, जिसका नाम काला है,
पर ये काला कलंक नहीं है, सीख सिखाने वाला है।
कभी इस रंग के पास, मेरा सुकून गिरवी पड़ा था,
आज, उसी काले रंग की, पीठ पर वर्तमान खडा है।
ये माना अतीत का प्रत्येक, रंग आज का आधार है,
लेकिन ‘योगी’, खासकर, काले रंग का शुक्रगुजार है।