Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

Dr Gopal Chopra

Inspirational Classics Abstract

5.0  

Dr Gopal Chopra

Inspirational Classics Abstract

औरतनामा

औरतनामा

3 mins
13.3K


औरत मूर्ख है
हाँ वो मूर्ख है,
क्यों?

वो मर्द से बराबरी करना चाहती है,
वो चाहती है कि किसी भी चीज में मर्द से पीछे ना रहे,वो चाहती है कि उसे मर्द जितना ही दर्जा मिले समाज में।

ऐसा नहीं हो सकता,
मैं तो कहता हुँ , ऐसा कभी होना भी नहीं चाहिए।क्यों?

क्योंकि औरत "औरत" है वो मर्द नहीं बन सकती।
वो मर्द जैसा भी नहीं बन सकती,
उसे बनना ही क्यों है?

वो तो युगों से मर्दो से आगे है,
जिस मर्द को जन्म दे कर ,

अपना दूध पिलाकर उसने सदियों से पाला है,

उनसे तो ये कहीं ज्यादा आगे है ये,
उनका दर्जा मर्दो से बहुत ऊपर है,
उनकी महानता की तुलना कोई मर्द नहीं कर सकता,
उनके बलिदान का दावा कोई मर्द नहीं उठा सकता।

औरते मूर्ख है
हाँ वे मूर्ख है। 

वे कुछ बोलती नहीं,
अपने हिस्से की जिंदगी किसी और को मयसस्सर कर देती है,
अपनी झोली की खुशियाँ
किसी और के पहलू में उड़ेल देती है,
अपने हिस्से की सफलता,
किसी और के नाम कर देती है,
अपने हिस्से के नाम को,
किसी और के नाम से जोड़ देती है।

असल मे इन्होंने ही मर्द को सिर चढ़ा रक्खा है,
इन्होंने ही मर्द की लंबी उम्र के लिए भूखे रह-रहकर उनके लम्बे आयु की कामना की है,
इन्होंने ही बिस्तर पे बिना उफ़्फ़ किये उनके आनंद को अपनी योनी की पीड़ा में दबा रक्खा है,
इन्होंने ही अपने आपको उनको समर्पित करके उनके अभिमान को आग दी है,
इन्होने ही खुदको भूलकर अपनी सारी जिंदगी मर्दो पे न्योछावर की है।

क्यों?
जरूरत क्या है?

क्या इसलिए, की,

कल यही मर्द,
आपकी स्वतंत्रता, आपके विचार, आपके व्यवहार,
आपकी कुशलता, आपकी स्वछंदता, आपकी जीवनशैली,
आपके शोख, आपकी आदतों, आपकी कर्मकुशलता, आपकी सोंच, आपकी चाहत, आपकी आशाएं-अभिलाषाएं, आपकी स्वनिर्भरता, आपके चरित्र और आपके सपनों पे सवाल करे?

क्या इसी लिए ,

की कल यही मर्द ये सोचे की ,

हमारे बिन ये कुछ भी नहीं,
अरे ये तो पाँव की जुत्ती है,
इन्हें दबाव में ही रखना चाहिए,
इनका स्थान पैरों में है,
इनको कंधों पे नहीं बिठाना चाहिए।

क्या इसी लिए,
की कल यही मर्द,
आपकी इज्जत पे हाथ डाले,
आपकी आवाज को अपनी थप्पड़ों से दबा दे,
आपके जज्बातों की वो मजाक बनाये?

मैं
पूछता हूँ क्या जरूरत है?

सुनने में आया है की,
अब पुरुषत्व का जीन (y) धीरे धीरे छोटा होता जा रहा है,
वैज्ञानिक ये कह रहे है कि किसी दिन ये पूरा नष्ट हो जाएगा।

फिर धरती पे केवल स्त्री होगी।

वैसे भी बिना स्त्री के पुरुष का कोई अस्तित्व कहाँ?
फिर किसी के आधीन क्यों रहे।
स्त्री होना अपने आप मे एक अवतार लेने के समान है।

आपको किसी के जैसे बनने की जरूरत नहीं है,
आपको किसी के समान स्तर की बराबरी करने की जरूरत नहीं ,
आपको किसी के लिए अपने अरमानों  को मारने की जरूरत नहीं है,
ये समाज की गलती है,
ये आपकी भी गलती है कि आपने मर्दों का कहना माना,
अब आप खुदकी करे,
खुदके लिए जिये,
खुदके सपनों के लिए जियें,
खुदके विचारो को खुदकी सोच को फैलाये,
आपके चरित्र पे सवाल करने वालो के मूंह पे दो थप्पड़ लगायें,
तभी ये दौर बदलेगा,
तभी इनकी अक्ल ठिकाने आयेगी।

अब आप पे है सब।
बहुत कठिन होता है स्त्री होना,
मर्द स्त्री जैसा नहीं बन सकता कभी।

 


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Inspirational