अपनी कल्पनाओं में गुम कहानी
अपनी कल्पनाओं में गुम कहानी
मुझे वास्तविकता की चाहत नहीं,
मैं अपनी कल्पनाओं में गुम कहानी हूं...
यह धन - दौलत, वैभव, भौतिक सुविधाएं तुम रख लो,
मैं अपनी कल्पनाओं के प्रेम रस की प्यासी हूं
ऐसा नहीं कि मुझे वास्तविकता पसंद नहीं,
लेकिन मुझे कल्पनाएं तनिक अधिक भाती हैं
जीवन के राग, द्वेष, ईर्ष्या से दूर,
अपने किरदारों से प्रेम करती हूं...
मैं अपनी कल्पनाओं में गुम कहानी हूं !!
वास्तविकता के व्यंग्य पूर्ण प्रेम की चाहत नहीं,
जो शाश्वत प्रेम से अनजान बैठे हैं
जिन्हें प्रेम नाम मात्र सेज पर शरीरों का मिलन लगे,
जो नाटकीय संबंधों का सरेआम दिखावा करे
उन्हें ठुकरा अपनी कल्पनाएं चुनती हूं
अपने दिल में छुपे किरदारों संग जीया करती हूं
उनके साथ बिताए हर क्षण, हर पल में जीवित लगती हूं...
मैं अपनी कल्पनाओं में गुम कहानी हूं !!
वास्तविकता में कठोर, निर्जीव सी मैं,
कल्पनाओं में ज़िंदा लगती हूं
वास्तविकता के अंधकार से दूर,
कल्पनाओं में स्वयं के निकट लगती हूं
"कल्पना" यह नाम मात्र नहीं, मेरे जीवन का आधार है
बिन कल्पनाओं के निर्जीव मैं, मेरा जीवन निराधार है
तनिक से क्षण मात्र के लिए ही सही
अपने ख्यालों में खुद संग मौजूद रहती हूं...
मैं अपनी कल्पनाओं में गुम कहानी हूं !!
कल्पना मेरे जीवन में केवल एक शब्द नहीं,
मेरे लिए मेरी एक दुनिया है
अमावस्या की स्याह निशा सी वास्तविकता मेरी,
उनमें दीपक के लौ सी मेरी कल्पनाएं हैं
पाषाण हृदय में छुपे अश्रु धाराओं की,
यह कल्पनाएं उन अश्रुओं की पराकाष्ठा है
इस निर्मम जग से आहत, हर पल त्रस्त हूं
कभी हवाओं सी मदमस्त रहने वाली,
आज कल्पनाओं में ढूंढती अपना अक्स हूं
वास्तविकता में अपने दिल के किरदार नहीं,
कल्पनाओं में उन किरदारों साथ जीना चाहती हूं...
मैं अपनी कल्पनाओं में गुम कहानी हूं ।
