Nasir Imam
Drama
ये दिल्ली शहर
ना जाने क्यों
सजने लगा है
लगता है फिर
कोई ख्वाजा
इस शहर में आया है...!
बचपन की साईकल
दरगाह
मातम
कारगर तरीका है ये आप भी अपना लो भाई। कारगर तरीका है ये आप भी अपना लो भाई।
कर के तुझे कटघरे में खड़ा, चल कर लेते हैं आज वक़ालत... कर के तुझे कटघरे में खड़ा, चल कर लेते हैं आज वक़ालत...
तुम्हें आते-जाते देख रही हूँ तुम भरपूर कब आओगे ! तुम्हें आते-जाते देख रही हूँ तुम भरपूर कब आओगे !
जिसमें पूर्ण सौहाद्र हो सर्वधर्म सद्भाव में सना। जिसमें पूर्ण सौहाद्र हो सर्वधर्म सद्भाव में सना।
किसी ने भावों पर मार दिया कुठारा है।। खेल खेलना सभी को दुनिया में प्यारा है... किसी ने भावों पर मार दिया कुठारा है।। खेल खेलना सभी को दुनिया में प्यारा है....
इतना तो हो खुद पर यकीन मेहनत करके हो जाओ विलीन। इतना तो हो खुद पर यकीन मेहनत करके हो जाओ विलीन।
एक दिन ऐसे साम्राज्य का उदय होगा राम राज्य का स्वप्न साकार होगा एक दिन ऐसे साम्राज्य का उदय होगा राम राज्य का स्वप्न साकार होगा
कृष्ण के सुदर्शन चक्र में बस्ती शाश्वत पौराणिक कथा। कृष्ण के सुदर्शन चक्र में बस्ती शाश्वत पौराणिक कथा।
आशीर्वाद प्रकृति देती है पिता हिमालय और माँ गंगा। आशीर्वाद प्रकृति देती है पिता हिमालय और माँ गंगा।
पूरब, पश्चिम गमके चन्दन, पश्चिम दक्खिन सुरभित हरदम।। पूरब, पश्चिम गमके चन्दन, पश्चिम दक्खिन सुरभित हरदम।।
ऋषि-मुनियों की, राजा और रानियों की देवी-देवताओं, दैत्य-दानव और अप्सराओं की ऋषि-मुनियों की, राजा और रानियों की देवी-देवताओं, दैत्य-दानव और अप्सराओं की
उम्मीद थी बची अभी भी उसकी ताप में मगर अब वो बस कुछ मूक सा रह गया था उम्मीद थी बची अभी भी उसकी ताप में मगर अब वो बस कुछ मूक सा रह गया था
पर वो बेज़ुबाँ था ना साहब शायद इसलिए अपना दर्द किसी से बाँट नहीं पाया था। पर वो बेज़ुबाँ था ना साहब शायद इसलिए अपना दर्द किसी से बाँट नहीं पाया था।
पर नहीं हो पाता उनसे... यह कहके रुक जाते हैं... क्या यही है आजादी ? पर नहीं हो पाता उनसे... यह कहके रुक जाते हैं... क्या यही है आजादी ?
भिन्न-भिन्न शरारतों से उसकी मोहित हो जाता मेरा चित्त, मेरा ये मन, भिन्न-भिन्न शरारतों से उसकी मोहित हो जाता मेरा चित्त, मेरा ये मन,
आज़ाद हो कर मैं भी, जीवन महसूस करना चाहती हूं। आज़ाद हो कर मैं भी, जीवन महसूस करना चाहती हूं।
मन हुआ दूल्हे की करूं पिटाई आज का युवक और ऐसा लालच मन हुआ दूल्हे की करूं पिटाई आज का युवक और ऐसा लालच
वट सावित्री का त्यौहार बड़ी आस्था से इसे मनाते। वट सावित्री का त्यौहार बड़ी आस्था से इसे मनाते।
उसका अंश ही हमें चलाता मन, बुद्धि और ये पंचेन्द्र। उसका अंश ही हमें चलाता मन, बुद्धि और ये पंचेन्द्र।
उनमें गुण था दानशीलता मना कभी उन्होंने किया नहीं उनमें गुण था दानशीलता मना कभी उन्होंने किया नहीं