Nasir Imam
Drama
ये दिल्ली शहर
ना जाने क्यों
सजने लगा है
लगता है फिर
कोई ख्वाजा
इस शहर में आया है...!
बचपन की साईकल
दरगाह
मातम
मैं भर जाती हूँ उन सबकी तृष्णा से जो सदियों से अतृप्त है आत्मा में। मैं भर जाती हूँ उन सबकी तृष्णा से जो सदियों से अतृप्त है आत्मा में।
'मां ' की प्रार्थना करती, सब के लिए, सुख, शांति मांगती, 'मां ' की प्रार्थना करती, सब के लिए, सुख, शांति मांगती,
छल कपट से तोड़ते है जिस पर करते तुम विश्वास अटूट, छल कपट से तोड़ते है जिस पर करते तुम विश्वास अटूट,
उड़ गया पंक्षी लुट गया मेला कुछ देर सांस बस अटकी है उड़ गया पंक्षी लुट गया मेला कुछ देर सांस बस अटकी है
गठबंधन की गाठ ने रिश्ते की मजबूती का एहसास कराया है गठबंधन की गाठ ने रिश्ते की मजबूती का एहसास कराया है
न जाने कैसे समेट ले उन पल को जो बहकर आँसू तले भीग गये हैं न जाने कैसे समेट ले उन पल को जो बहकर आँसू तले भीग गये हैं
साथ हां मेरा, जन्मों निभाए, बाबुल ढूंढ़, पिया ऐसा लाए, साथ हां मेरा, जन्मों निभाए, बाबुल ढूंढ़, पिया ऐसा लाए,
बताओ उपकार क्या वाकई ऐसा ही होता है ? बताओ उपकार क्या वाकई ऐसा ही होता है ?
क्या होता है साँसों का मचलना तेरी कमी ने ये एहसास कराया है क्या होता है साँसों का मचलना तेरी कमी ने ये एहसास कराया है
मुझे तुम्हारा कुछ भी 'जरूरी' नहीं होना मुझे जरूरी बस 'तुम्हारा' होना। मुझे तुम्हारा कुछ भी 'जरूरी' नहीं होना मुझे जरूरी बस 'तुम्हारा' होना...
युगों- युगों की अशीष देकर, अमिट स्नेह मनभावन हो जाए। युगों- युगों की अशीष देकर, अमिट स्नेह मनभावन हो जाए।
क्यों रटते रहते हो नाम उस बेवफा का वो कोई राम नाम थोड़ी है क्यों रटते रहते हो नाम उस बेवफा का वो कोई राम नाम थोड़ी है
काश मुश्किल ना होता किसी को भुलाना तो यादों में इस तरह खोए ना रहते काश मुश्किल ना होता किसी को भुलाना तो यादों में इस तरह खोए ना रहते
अब विदाई की आहट पर जाते हुए हमेशा मुस्कराती हूँ मैं। अब विदाई की आहट पर जाते हुए हमेशा मुस्कराती हूँ मैं।
वो खामोशी से मुझे देखता तो है दर्द से जूझते जज्ब करते तल्ख अहसास, वो खामोशी से मुझे देखता तो है दर्द से जूझते जज्ब करते तल्ख अहसास,
दिल के सामने आज तो सही में नजर जीत गयी उसने दी हुई झूठी मुस्कान अब बीत जो गयी ! दिल के सामने आज तो सही में नजर जीत गयी उसने दी हुई झूठी मुस्कान अब बीत जो गयी...
मैं बस सिमटना चाहता था तुममें, उन अल्फाजों की झंकार की तरह मैं बस सिमटना चाहता था तुममें, उन अल्फाजों की झंकार की तरह
ना जाने कैसे जुड़ गया रिश्ता ये तेरा मेरा हो सके सवालों के जवाब दे दे। ना जाने कैसे जुड़ गया रिश्ता ये तेरा मेरा हो सके सवालों के जवाब दे दे।
अकल्पनीय महाकथा निर्माण पर अविश्वसनीय पात्रों के अभिनय पर अकल्पनीय महाकथा निर्माण पर अविश्वसनीय पात्रों के अभिनय पर
लोगों को नहीं पता की अपने नहीं तड़पाते अपने ही तो बनते है जो शुरू शुरू में तड़पाते लोगों को नहीं पता की अपने नहीं तड़पाते अपने ही तो बनते है जो शुरू शुरू में तड़प...