भव्य भगवद्गीता
भव्य भगवद्गीता
जगन्मोहन जनार्दन स्वयं हैं सनातन धर्म के अनन्य आयतन,
उनका भेंटस्वरूप भव्य भग्वद्गीता ब्रह्मज्ञान सर्वदा है नित्य नूतन |
गीताज्ञान जान सुनकर आचरण करने से सामान लगेगा उत्थान पतन,
जगतगुरु श्रीकृष्ण के ज्ञानपाद्यों से मिलेगा जीवन-संग्राम में विजयकेतन |
चिरंजीवी गुरु वेदव्यास रचे महाकाव्य महाभारत,
भीष्मपर्व अंतर्गत कुरुक्षेत्र रणरंग में उद्भव हुआ वासुदेव का अनंतजीत |
अपार्थिव भाव से अज्ञात पार्थ सम्प्राप्ति किए श्यामसुन्दर का सौहार्द्य सन्निधि,
पुरुषोत्तम पार्थसारथी होकर अनर्गल प्रदान किए भगवद्गीता ज्ञाननिधि |
गीता उपनिषद उपदेश सूचिका में हैं अष्टादश अध्याय,
आत्म-तत्त्वज्ञान का उपदेश देकर द्वारकाधीश हुए महामहोपाध्याय |
कन्हैया ज्ञात कराए वास्तव सत्य के अनुसन्धान के लिए तर्क का प्रयोग,
आभास किए अनुपम आध्यात्मिकता के कर्म भक्ति सुज्ञान राजयोग |
सव्यसाची को दिव्यदृष्टि से समागत हुआ वंशीधर का विश्वरूप प्रदर्शन संदर्शन,
श्रीगोविन्द स्वयं श्रीजगन्नाथ होने का दर्शाये यह सर्वांगसुंदर अपरूप परिदर्शन |
सुख-दुःख कष्ट-नष्ट हानि-लाभ का सदन है यह देह,
क्षण-भंगुर नश्वर शरीर प्रति न रहे अकाट्य मोह |
भागवत नीति शास्त्र पुराण का पठन हो प्रतिदिन,
मदनमोहन मधुसूदन की उपासना में रहे जनसमूह लीन |
हमारे मानस में चिरप्रवाहित हो श्रीजगन्नाथ जी की भक्ति-सरिता,
माताजी की मधुरवाणी ममत्व सैम परमशान्ति सौख्य मोक्ष प्रदाता |
गिरिधर गोपाल का स्नेह है सदा अभिनव,
वर्णनातीत है ये सौहार्द सुरम्य अनुभव |
भव्य भग्वद्गीता है सनातन धर्म की व्याप्ति हेतु विशिष्ट वेदिका,
ब्रह्मोपदेश गीतिका होकर मानव जीवन के लिए है दिव्या दीपिका |