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आनंद कुमार

Abstract

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आनंद कुमार

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तमस से विहान रुका है क्या?

तमस से विहान रुका है क्या?

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तिमिर घना होगा,तमा लंबी होगी,

मगर तमस से विहान रुका है क्या?


धरा पूछ रही है कि मानव रचनात्मक है,

परन्तु सृष्टि का विनाश थमा है क्या?


सदियों रहा है दुश्मन जमाना हमारा,

परन्तु हमारा अस्तित्व मिटा है क्या?


रह गई है कुछ दरारें दिलों में,

किन्तु चुप रहने से विवाद छटा है क्या?


हर मोड़ पर ली है परीक्षा वक्त ने,

किन्तु इम्तहान देने से इंसान डरा है क्या?


आजादी की कीमत चुकाई हैं शहीद ने,

परन्तु बलिदान देने से सैनिक पीछे हटा है क्या?


आंखों के आंसु सूख गये है शहीदों के इन्तजार में,

किन्तु सेना में भर्ती होने का सिलसिला रुका है क्या?


हर मोड़ पर मिली है रुकावटें,

पर मुसाफिर रास्ते में जमा है क्या?


अक्सर आते हैं तूफान समुन्दरो में,

पर नाविकों का उत्साह घटा है क्या?


काले बादल,गहरा कोहरा, तड़ित आघात,

इनसे परिंदों का कारवां भयभीत हुआ है क्या?


जिंदगी भर की है गलतियां,

पश्चाताप करने से कुछ बचा है क्या?

                



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