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Neerja Sharma

Abstract

5.0  

Neerja Sharma

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माँ

माँ

2 mins
479


इस साल 

सर्दी से है बुरा हाल

चारों तरफ कोहरा व धुन्ध

सूरज भी था कहीं बादलों में गुम

हर कोई था ठंड से परेशान,

ठंड बढ़ने का हुआ था ऐलान।


पर ........

एक माँ थी बड़ी बैचेन,

उसे न था इक पल का चैन

अंदर- बाहर वह चक्कर लगा रही थी,

अंदर आ अंडों पर बैठ जा रही थी

हमारी परछत्ती पर था उसका बसेरा

जिसका था उसके दो अंडो को आसरा।


मौसम का था इतना कहर,

हमें भी था अंडों का फिकर

कोई और होता तो पूछ भी लेते,

पर कबूतरी से हम क्या कहते ?

आज वह उन्हे छोड़ना न चाहती थी,

शायद उनके जन्म की घड़ी आ गई थी।


इस सर्दी में वह उन्हें सेह रही थी,

और हमारी मौजूदगी को सह रही थी

इसे कुदरत का करिश्मा कहें 

या माँ की ममता.....

जो एक खटके पर उड़ जाती थी,

आज एकदम सुन्न थी।


आज कुछ भी हो जाये,

वह अंडों को न छोड़ेगी

हर कहर को अपने सिर ले लेगी

आज हम भी, सब काम छोड़ इसी में लगे थे ,

कब क्या होगा इस सोच में लगे थे।


अब तो हमें भी चिन्ता होने लगी थी,

कबूतरी के भाग्य की,

ये अनमोल घड़ी थी l

घर हमारा बना था मैटरनीटी वार्ड

जहाँ था दो चूजों के आने का इन्तजार।


भगवान से प्रार्थना फिर हमने भी की,

चूं -चूं की मध्म ध्वनि हमने सुनी

दौड़ घर में अब ऐसी लगी,

सभी को उन्हे देखने की पड़ी।


फिर किया मैंने यह ऐलान,

कोई बाहर न जाये ये दे दो पैगाम

हाथ जोड़ किया भगवान को प्रणाम,

जिसने दिया इक माँ को आराम।


इंसान हो या जानवर,माँ ही वह शक्ति है,

जो हर बला पर भारी है

अपने बच्चे के लिए 

दुनिया की हर खुशी वारी है।


माँ की ममता होती है अनमोल,

उसका नहीं है कोई और मोल


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