परिवार का ख़्याल
परिवार का ख़्याल
परिवार की ज़रूरतें ही नहीं
बच्चों की ख़्वाहिशें भी पूरी करता
पूछने पर बस कुछ नहीं
यूं ही हर मर्ज़ छुपाता
शायद इसलिए भी जी नहीं चुराता
परिवार का ख़्याल जो हरदम सताता
परिवार की ज़रूरतें ही नहीं
बच्चों की ख़्वाहिशें भी पूरी करता
कहीं से उधार कहीं ब्याज़ से पैसा वो लाता
बेटे को भी पढ़ा- लिखाकर क़ाबिल बनाता
परिवार की ज़रूरतें ही नहीं
बच्चों की ख़्वाहिशें भी पूरी करता ।।