Anuj Pareek
Drama
जिसने चाहा हमें
उसको कभी हमने चाहा नहीं।
हमने जिसको चाहा
वो कभी हमें मिला नहीं।
प्रेम की सार्...
अमीर घर की औल...
सबसे खतरनाक ह...
थामना चाहता ह...
समझ क्यों नही...
इंसान
Kuch Tum Kaho...
यादों की गिरफ़...
मिला ही नहीं
खुशियों का सौ...
कठिन है पर असंभव नहीं थोड़ा वक्त लगेगा पर हो जाएगा। कठिन है पर असंभव नहीं थोड़ा वक्त लगेगा पर हो जाएगा।
सुभिक्षा करो इस दुनिया को मासूम बच्चों को सज़ा मत दो ! सुभिक्षा करो इस दुनिया को मासूम बच्चों को सज़ा मत दो !
उपकरण स्वच्छ हस्त स्वच्छ, मन की मति गाती भी स्वच्छ। उपकरण स्वच्छ हस्त स्वच्छ, मन की मति गाती भी स्वच्छ।
कभी कभार भूले भटके ही सही शायद आपको याद आ जाऊँ ! कभी कभार भूले भटके ही सही शायद आपको याद आ जाऊँ !
जब सब कुछ जान कर भी 'मन' अनजान बना रहता है। जब सब कुछ जान कर भी 'मन' अनजान बना रहता है।
पास बुला कर दूर न करना, अब तुम ही मेरे गीत हो गए। पास बुला कर दूर न करना, अब तुम ही मेरे गीत हो गए।
इससे मनुष्य की शारीरिक तथा मानसिक पतन होता है। इससे मनुष्य की शारीरिक तथा मानसिक पतन होता है।
नमन है उन चरणों में ए मां जिसकी धूल मात्र ना बन पाई। नमन है उन चरणों में ए मां जिसकी धूल मात्र ना बन पाई।
तुम्हीं से आस है "नीरज", न घृणा से पा सकोगे उसको। तुम्हीं से आस है "नीरज", न घृणा से पा सकोगे उसको।
तू आप को सक्षम शायर मानता अगर ग़ालिब पढ़ने की तुझे आदत ना होती। तू आप को सक्षम शायर मानता अगर ग़ालिब पढ़ने की तुझे आदत ना होती।
देश का वो था अनमोल दीपक जो बाबा साहब कहलाया था। देश का वो था अनमोल दीपक जो बाबा साहब कहलाया था।
सोच रहा है जग सारा, कोविध मारें कोविद को। सोच रहा है जग सारा, कोविध मारें कोविद को।
कितनी दोंगे सज़ा अब तो दें दो दुआ इंतजार अब है मुझे ऑफिस याद आता है मुझे। कितनी दोंगे सज़ा अब तो दें दो दुआ इंतजार अब है मुझे ऑफिस याद आता है मुझे।
और एक बार फिर समझना ठीक होगा कि वो सब इतना ज़रूरी भी नहीं। और एक बार फिर समझना ठीक होगा कि वो सब इतना ज़रूरी भी नहीं।
इश्क के इस खेल में हारना मंजूर था। इश्क के इस खेल में हारना मंजूर था।
करनी अगर बुरे के बदले में सोचेंगे बुरा तो नकारात्मक ऊर्जा विकसित होगी करनी अगर बुरे के बदले में सोचेंगे बुरा तो नकारात्मक ऊर्जा विकसित होगी
अपेक्षा सभी ह्रदय-पीड़ा की जड़ है---विलियम शेक्सपीयर अपेक्षा सभी ह्रदय-पीड़ा की जड़ है---विलियम शेक्सपीयर
दिन चढ़ गया मेरी मैया,अँधेरा ढल गया मेरी मैया, हो रही मन्दिर में जयजयकार। दिन चढ़ गया मेरी मैया,अँधेरा ढल गया मेरी मैया, हो रही मन्दिर में जयजयकार।
औरत सृष्टि का मूल है, सृष्टि उचित दृष्टिकोण से ही संवारी जाती है। औरत सृष्टि का मूल है, सृष्टि उचित दृष्टिकोण से ही संवारी जाती है।
देश के काम ना आए वो धरती पर है बोझा। देश के काम ना आए वो धरती पर है बोझा।