फूलों की कहानी
फूलों की कहानी
खिलते हैं हम क्षणभर लेकिन
जी लेते हैं सारा जीवन
हम फूलो की अजब कहानी
सबकुछ तर्पण
सबकुछ अर्पण।
हम फूलों की यही कहानी
खिल भी जाते
मुरझा जाते
या डाली से झड़ जाते
पर एक नज़र
एक स्पर्श प्रेम का
बरबस हमें जीवित रखते हैं।
जाने कब फिर मिल जायें
पन्नों में रखे सम्भले सहेजे
या महकी ख़ुशबू से
मन में संजोये भीने भीने..
कौन हमें पाया है अब तक
तोड़ के या मरोड़ के
या मुट्ठी में बांन्धे, भींचे
ये जीवन सम्पूर्ण उन्हीं का
जो धर लेते अन्तर में छिपा के।
जो ओस की बूँदें बनकर
कोमलता को सिरहे, जी ले
बस हम फूल उन्हीं ह्र्दय के
सब कुछ उनका
सब कुछ उन्हें समर्पण।