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Sunil Maheshwari

Abstract

5.0  

Sunil Maheshwari

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ऐ टैक्नोलॉजी हम शर्मिंदा हैं

ऐ टैक्नोलॉजी हम शर्मिंदा हैं

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रूबरू मिलने के मौके बडे़ चुनिंदा हैं,

ऐ टैक्नोलॉजी हालांकि हम तुझ पे शर्मिंदा हैं,

पर मेहरबानी इस टैक्नोलॉजी की,

जिससे वेंटिलेटर पे रिश्ते कभी थोड़े जिंदा है।


हर ख़ुशी है लोंगों के दामन में यारो,

पर एक हंसी के लिये वक़्त नहीं,

दिन रात दौड़ती दुनिया में,

ज़िन्दगी के लिये ही वक़्त नहीं,


सारे रिश्तों को तो हम मार चुके,

अब उन्हें दफ़नाने का भी वक़्त नहीं,

सारे नाम, मोबाइल में कैद रखे हैं,

पर मिलने के लिये जरा भी.वक़्त नहीं,


जन्मदिन,सालगिरह के लिये माध्यम बना,

"फेसबुक",और "वाट्सएप",इंस्टाग्राम,

पर मिलने का किसी को वक्त नहीं,

ऐ टैक्नोलॉजी हम तुझसे शर्मिंदा हैं


बेवजह इल्जाम है दीवार पर बंटवारे का,

तमाम लोग एक कमरे में भी हैं जुदा जुदा,

इस टैक्नोलॉजी का हुआ इस कदर असर,

बच्चे फंसे हुए व्हाट्सएप, मोबाइल में,


किताबों को खोल पढने की फुरसत नहीं।

बड़े अजीब से हो गए रिश्ते आजकल,

सब फुर्सत में हैं पर वक़्त किसी के पास नहीं।


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