Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

परेशान कुत्ते और सीमेंट की सड़क

परेशान कुत्ते और सीमेंट की सड़क

2 mins
286


वो सीमेंट की सड़क जो विकास का प्रतीक थी

वही उस स्वान के लिए आग सी प्रतीत थी


सोच रहा था ये विकास क्या बला है जो उसी पर आ गिरा है

ये इंसानों को असर क्यों नहीं करता एक ही अत्याचार से

इनका जी क्यों नहीं भरता


वो मिट्टी को खोद कर अपने पेट को छिपा के बैठता था

और उसमें ग़जब की ठंडक पाता था


लेकिन अब चारों तरफ सीमेंट ही सीमेंट है

जितनी तब ठंडक मिलती थी अब दूनी गर्मी सताती है


उसके उदरभित्ति की परतों को सीमेंट का एक एक कण

छूता है और हर एक कण में तपा देने वाली गर्मी है


इस बात का एहसास पंखे कूलर और ए.सी. में बैठकर

नहीं किया जा सकता

उसकी प्रताड़ना की पीड़ा को कतई नहीं समझा जा सकता


सोचता हूँ कि इस विकास ने हमें क्या दिया है?

सुविधाएँ या इस निरीह का श्राप

जो प्रलय बनकर अब मानवता पर गिरने को तैयार है


प्रकृति के शोषण पर उसको स्वयं हो रोक लगानी

चाहिए थी

पर पता नहीं वो क्यों शोषित हो रही है सदियों से


क्या ये उसका प्रेम है जो उसने सब कुछ दिया

या फिर से सब ठीक करने का तरीका

जिसमें मानव अस्तित्व की कोई आवश्यकता नहीं।


इंसान की जिज्ञासा क्या वाकई किसी बुद्धिमत्ता की

ओर लेकर जाती है

या एक और कदम होता है प्रकृति को चूस लेने का


और किसी निरीह को उसके हाल पर छोड़ देने का

मजे की बात तो तब ही जब उसकी हालत का

किसी विकासशील बात से जोड़कर देखा ही नहीं जाता


और हां पारस्थितिकी तंत्र सिर्फ किताबों में पढ़ने की बात है

इसका वास्तविक जीवन से कोई लेना देना नहीं है

क्योंकि इंसान की पारिथितिकी में इंसान के अलावा और कोई नहीं है


और ये कोई कहने सुनने की बात नहीं है

ये विकास जिसके हम मजे लेते है ठीक

इसी बात का प्रमाण है


सोचो अगर इंसान न होता तो क्या होता?

इस कुत्ते को मिट्टी में गढ्ढे खोदने से और उसमें

पेट गड़ाकर बैठने से कोई नहीं रोकता

बस इतना ही होता।



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract