मैं भारत की लड़की हूँ
मैं भारत की लड़की हूँ
कभी गीता, कभी कुरान,
तो कभी बाईबिल पढ़ती हूँ।
अपने मन के उद्गगारों को,
शब्दोंं में मैंं गढ़ती हूँ।।
देखकर भ्रष्टाचार,
आतंकवाद मेंं जकडे़ भारत को।
सोये नौजवानों को जगाने,
शोला-सी भड़की हूँँ।।
जब-जब दुश्मन ने ललकारा,
है भारत की सीमा पर।
देशभक्ति का गीत बन,
वीरों के दिल में धड़की थी।।
जब भी अत्याचार बढा,
जीवन जीना दुश्वार हुआ।
विद्रोह की चिंगारी बनकर,
बिजली-सी कड़की थी।।
ध्रुवतारा-सा अटल ये भारत,
जग से ऊँचा है तिरंगा।
दुुनिया जिससे पार न पाये,
मैं उस भारत की बेटी हूँ।।