कैसा हमनवा मेरा
कैसा हमनवा मेरा
प्रेम प्यार के दीप जलाकर कर दिया दूर अंधेरा,
ऐसा हमनवा मेरा, ऐसा हमनवा मेरा।
सूरज की किरणों जैसा है इसका रूप सुनहरा,
मैं हो गया दीवाना जब से देखा इसका चेहरा,
मुस्कान मेरी प्रिये की मुझको लगती है ऐसे,
नदिया के नीले जल में कोई कमल खिला हो जैसे,
मुख पर मेरे जिसने अपना नूर बिखेरा,
प्रेम प्यार के दीप जलाकर कर दिया दूर अंधेरा,
ऐसा हमनवा मेरा, ऐसा हमनवा मेरा।
दिल की गलियों से गुज़री जब प्रीत की तेरी पुरवाई,
मेरे रोम - रोम से तेरे देह की खुशबू आई,
तुझसे प्रेम करके मैंने मेरा हर गम मिटाया,
फिर नशा तेरे रूप का मेरी नज़रों में आ समाया,
तो जाकर मैंने खुद ही तेरे दिल में डाला डेरा,
प्रेम प्यार के दीप जलाकर कर दिया दूर अंधेरा,
ऐसा हमनवा मेरा, ऐसा हमनवा मेरा।
दिल की बंजर धरती पर प्रिये तू जब अधर रस बरसाए,
आती-जाती सांसों में बस तेरा ही नाम समाए,
मोहब्बत के सुरमंडल को तुमने कानों में छेड़ा,
फिर चांदनी जैसी देह दिखलाकर किया मन में सवेरा,
तुझसे प्रीत करके जीवन धन्य हो गया मेरा,
प्रेम प्यार के दीप जलाकर कर दिया दूर अंधेरा,
ऐसा हमनवा मेरा, ऐसा हमनवा मेरा।