Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

SUDHA SHARMA

Drama Tragedy

3  

SUDHA SHARMA

Drama Tragedy

मौन पसर गया है

मौन पसर गया है

1 min
748


मौन पसर गया है

अंतस में कहीं

दूर तक,

लहू उबल-उबलकर

हिमकणों सा जम गया।


समूल शिराओं में

औटकर सूख गया कलेजा,

विदीर्ण छाती में

नयनों के अश्रु

रेतकणों में तब्दील हो गए।


मरुस्थली आँखों में

सपने नहीं चमकते

मृगतृष्णा से अब

और प्रतीक्षा

कब तलक किसकी।


बंद करो सारे दरवाजे,

सिनेमाघरों-सा

नित्य बदलते

वास्तविक चित्रों में

कहानी वही, दृश्य वही

पीड़ाओं, चीखों का एहसास वही

बस पात्र बदलते हैं हर बार।


मूक दर्शक सा

मौन साधे

कुछ घंटों में मन को

बाँध लेने वालों

उठो, जागो

पिघला डालो

बर्फिले लहू को।


बना लो आँखों की रेत को

धधकती ज्वाला

और जला डालो

उस हैवानियत का समूचा वजूद

जो अट्टहास करता

रणनृत्य कर रहा।


कब तलक शांति के मनके का

जाप करोगे

अब काटना ही होगा

रक्तबीजों के शीश,

जागना ही होगा

इंसानियत के भीतर

छूपे अर्जुन, राणा, शिवा

और तमाम वीरों को।


आकुल हो पुकारती भारत भूमि

आओ ! आओ !

हे ! हे, उठाओ अस्त्र-शस्त्र।।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Drama