हँसकर गले लगा लेंगे
हँसकर गले लगा लेंगे
जाने क्यों जाने क्यों एक डर सा सता रहा है
कोई साया मुझे अपने पास बुला रहा है।
चैन की नींद मैं सो नही पाती हर पल वो पास सा लगता है
ख्वाबो में वो बार- बार आता है बेचैन सा कर जाता है। ।
कोई अपना है या कोई खास रिश्ता है उससे
क्यों वो हर पल मुझको नजर आता है।
उसको मेरी जरूरत है शायद अपने जहान में
इसलिए वो मुझसे बार-बार साये की तरह चिपका रहता है। ।
जब भी नींद खुलती है बेचैन सी हो जाती हूँ
मौत से डर नहीं लगता मुझको मौत तो आखरी सफ़र है।
कुछ ख्वाब अभी बाकी है कुछ फ़र्ज़ अभी बाकी है
बस वो पूरे हो जाये तो मौत तू खुशी खुशी आ जाना
हुम् तुझको हस कर गले लगा लेंगे।।