हाथ सन गया
हाथ सन गया
लो फिर एक बार हाथ मिट्टी से सन गया
कल को कमाने में आज का भी दिन गया।
जिस मिट्टी से बनाया उसने सबके हाथों को
फिर उसी मिट्टी से, लो तुम्हारा भगवान बन गया।
मूरत मिली किसी को, किसी को मिला मकान
बनाने में किसी का तन गया, किसी का बचपन गया।