लालच का पैमाना छलका
लालच का पैमाना छलका
समय था सुहाना सुहाना। 1992 का था जमाना।
शेयर बाजार था आभासी ऊंचाई के कारण बहुत ऊंचा।
जिन लोगों ने इस तेजी में पैसा कमाया।
उनके लालच का पैमाना छलकाया।
क्योंकि यह था एक आभासी तेजी का जमाना।
अचानक ही इसका फुग्गा फूट गया।
जो लोग अपने आप को शेयर बाजार का किंग
समझते थे उनका फुग्गा फुट गया।
गिरे जमीन पर धड़ाम।
करोड़ों अरबों के आसामी अपने जेल के मेहमान।
कुछ लोग ऐसे थे जिन्होंने यह सोचा।
क्यों ना हम इस बहती गंगा में जाय हाथ धोया।
अपना सारा माल असबाब बेचकर शेयर बाजार में लगा दिया।
जिन लोगों ने शेयर बाजार मेंपैसा नहीं लगाया।
उन्हें अपने सामने हेय दृष्टि से देखता कर दिया।
समय बदला शेयर बाजार किंग का स्कैम पकड़ा।
पूरा बाजार धड़ाम से नीचे गिरा।
और जो लोग इसमें फंसे थे। वे अपने लालच में ही फंस कर रह गए।
बहुत रोए चिल्लाए आंसू बहा या।
कुछ लोगों ने तोआत्महत्या तक कराया।
मगर कहते हैं ना अब पछताए क्या होत
जब चिड़िया चुग गई खेत लालच बुरी बला है
मानो या ना मानो
यह सच्ची सलाह है।
इसीलिए बुजुर्गों ने सही कहा है।
हराम का पैसा ना कमाओ मेहनत करो।
और कमा खाओ।
लालच बुरी बला।
इसको ना तुम गले लगाओ।
