पराये ही सही
पराये ही सही
पराये तो पराये ही सही
अपने कब अपने हुये ?
ढेर सारे सपने तो थे
क्या अब तक पुरे हुये ?
कब तक तसल्ली दे खुद को
क्या अरमान पुरे होंगे सारे ?
दिल हैं छोटा सा, छोटी सी आशा
जुट- मूट ही सही बस तुम आ जाना
आपकी चाहत मे दीवाने हुये
तुम तो चली गई यूँ ही
इकरार किया ना इन्कार किया
तू ही बता यह कैसा प्यार तेरा ?
चुपचाप चल दिये मुस्कुराते हुये
भूल गई सबकुछ रूठना - मनाना
वो कस्मे वादे, ढेर सारे नेक इरादे
मिलके बुने थे जो सुनहरे सपने
यह कैसा मोड़ आया जिंदगी का
जीने की चाहत हैं न कुछ अरमान
फिर भी जी रहे हम क्यों ? किस लिये ?
नहीं पता क्या खोया क्या पाया।