Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

Vaishno Khatri

Abstract

5.0  

Vaishno Khatri

Abstract

जन्म दात्री

जन्म दात्री

1 min
281


नित सहकर जीवन संघर्ष

सुरभित करती हो अन्तर्मन 

सारे कष्टों का कर देती निराकरण   

मेरी जन्म दात्री तुझे मेरा नमन 

हे जन्म दात्री तुझे मेरा नमन


सारे सम्बन्ध साथ छोड़ जाएँ

दुःख में न कोई साथ निभाए 

तब तू ही बनती ढाल के सम

मेरी जन्म दात्री तुझे मेरा नमन 

हे जन्म दात्री तुझे मेरा नमन


बड़े हो कर तुम सम्भल जाओ 

अपना निर्णय खुद ले पाओ।

न देती तब भी कोई दखल 

मेरी जन्म दात्री तुझे मेरा नमन 

हे जन्म दात्री तझे मेरा नमन


खुशहाल हो या हो दीन

कभी न समझे तुमको हीन

ममता का सागर लुटाती एक सम

मेरी जन्म दात्री तुझे मेरा नमन 

हे जन्म दात्री तुझे मेरा नमन


जीवन मुसीबतों का गिर बन जाए

इस अंधकार में कुछ सूझ न पाए

अपार हो सुख खुदा करे करम

हे जन्म दात्री तुझे मेरा नमन

हे जन्म दात्री तुझे मेरा नमन।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract