क्योंकि ज़िंदगी है तो सबकुछ है
क्योंकि ज़िंदगी है तो सबकुछ है
ज़िद है मेरी अब
तुझे भूल जाने की
कसम है कसम को भी
ना तेरी याद आने की
पलकों में आँँसू लेकर
रोऊंगा नही
जब भी लगेगा
सावन की तरह
प्रेम कहानियों का मेला
तब भी रह लूंगा
सूखी लकड़ियों की तरह
उस भीड़ में अकेला
जख्मों से कह दूंगा
अपनी औकात में रहो
हर दर्द को
बाहर का रास्ता दिखा दूंगा
बता दूंगा
दुनिया वालों को
ना दिल जला हूं
ना दिल फेंक हूं
मैं ज़िंदा दिल हूं
अपनी ज़िन्दगी की
अहमियत को समझता हूं
क्योंकि ज़िन्दगी है
तो सबकुछ है...!