तुमने पूछा तो
तुमने पूछा तो
परिणीता !
तुमने पूछा देर रात कैसे/ क्यूँ जाग रहे थे
गहरी रात तक सितारों से
ख़्वाब उलझाए रहा
फिर यादों की किसी एक डायरी में
कई दिनों पहले अपने ही लिखे,
जो पन्ने थे उन्हें पढ़ता रहा...
बड़ी कोशिश से अंधेरे कमरे में पलंग के
पास जलते स्टडी लेम्प की रोशनी में
फर्श पर गिरे बुकमार्क को ढूँढ कर
एक पन्ने पर छोड़ी थी कल रात....
बस इन्ही सब कामों में देर हो गयी
सोने में
तुम रहते हो हर वक़्त मेरे साथ
तभी तो तुम्हें मालूम है कि मैं
जाग रहा था, कल देर रात तक....