चाहे बहू हो या बेटियां
चाहे बहू हो या बेटियां
कोने कोने में दुबकी है बेटियां
कब होगी आजाद ए तितलियां
घर में तो खुशीयां वही लाती है
चाहे फिर बहू हो या बेटियां।
घर के कन कन में समाई होती है बेटियां
हंसी के फव्वारे बिखेरती है बेटियां
कब होगा यहां बेटियों का सम्मान
कब आएगा बहन बेटीका राज।
कुछेक बेटियां उड़ रही है आसमान में
कुछेक बेटियां मिल रही है माटी में
होती है शिकार बलात्कार की बेटियां
लगे हैं कुछ लोग संस्कृति को मिटाने में।
इंद्रधनुष के रंगों में मिल जाती है बेटियां
आंचल में दूध आंखों में पानी है बेटियां
कब होगी बेटियों के आंसुओं की कीमत
ना सम्मान की हकदार तो मरती है बेटियां।
भारतीय संस्कृति में उच्च होती है
घर की बेटियों की आन बान शान
सिर्फ क्या पुस्तकों में ही रहेगी महान
क्या कभी मिलेगा बेटियों को दिल में स्थान।
इस पुरुष प्रधान देश में बेटियों ने
गाड़ दिए झंडे कई आसमान में
फिर भी घर के कोने में कचरे सामान
दुर्दशा होती है उसकी घरबार में।