वो अद्भुत पल
वो अद्भुत पल
सांस तो लेने दिया करो प्रिये
आँख खुलने से पहले ही
दिल पे दस्तखत कर देते हो।
कुछ लिखा नहीं
कि फुरसत ही नहीं
तुझे महसूस करने से।
फिर साँसे ऊपर नीचे
फिर धड़कनें कोहराम
मचा रहीं है।
तेरी यादें मेरी जान
मुझे खूब जम के
सता रही हैं।
एक कदम और आगे
आ गए हम
इस खूबसूरत सफ़र पर
जहाँ हमें फूलों और काटों पर
एक साथ चलना है।
जहाँ हमें आग में सुक़ून हो
और बारिशों में जलना है
मेरे तो शब्द ही खत्म हो गए।
बस वो एक पल ही
जिए जा रही हूँ।
तेरी साँसों ने यूँ छुआ
कि बदन अब तक
किसी तपिस में है।
हृदय से ह्रदय का स्पर्श,
ये अनुरागी मन लीन किसी
घोर तप में है।
कितनी प्रेम कवितायेँ
लिख गया
तेरे अहसास का वो पल
मेरे भीतर
वो अद्भुत पल।