भारत आर्थिक महाशक्ति
भारत आर्थिक महाशक्ति
सन सैतालिस में मिली आजादी,
और हुआ भाग्योदय भारत का।
अर्थव्यवस्था थी कुछ अस्त व्यस्त,
कैसे हो निर्माण नवभारत का।
माली हालत थी तितर बितर,
जैसे बसन्त में भी हो पत्तझर।
लुटा चुके थे सबकुछ अपना,
बस नये देश का बचा सपना।
तब हमने था यह ठान लिया,
देश हित अपना जी जान दिया।
पहले कृषि पर ही ध्यान दिया,
हरित क्रान्ति का जिसे नाम दिया।
फिर था सम्भाला नदियों का पानी,
नये नये बाँध बनाने की ठानी।
आज देश में बाँध रखे मर्यादा,
गिनती में चार हजार से ज्यादा।
दूसरे दौर में उद्योग बढाया,
हर स्तर पर निवेश बढाया।
निजीकरण निती अपना कर,
और ऊपर किया उद्योग स्तर।
सबको हुई सुलभ रोजगार,
देश जब से बना विश्व बाजार।
अब तो नई नीति अपनाना है,
उत्पाद देश में और बढाना है।
आज के भारत की अर्थ व्यवस्था,
विश्व की तीसरी विशाल शक्ति है।
इसमे योगदान है सबका ही,
आज गर्व में हर एक व्यक्ति है।