उम्मीद
उम्मीद
बसंत का आगमन ऐसा था हुआ
फुलों से भर दामन था गया
उपवन महका-महका सा
मन भी चहका-चहका सा था
कहीं खिलखिलाहट थी
कहीं मुस्कुराहट थी
ना सोच थी
ना तड़प थी
गर्वित अठखेलियां लेती थी
ये उम्र उसी की है
ये बहार उसी की है
मस्ती में झूमा करती थी
नृत्य कर रिझाया करती थी
झूमा और गाया करती थी
प्राकृतिक तांडव कुछ ऐसा चला
संग ले गया सुकून
बह गया तन मन और उपवन
झड़ गया ...
झरझर पतझड़
पतझड़ पत्थर
विलीन सब विलीन
कहीं से आती एक छोटी सी
उम्मीद रूपी लौ का आगमन
पंखुड़ी रूपी प्रकाश का आगमन
हृदय में प्रकाश रूपी उमंग का आगमन
पतझड़ सावन
सावन उपवन।