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Gangadhar joshi

Romance

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Gangadhar joshi

Romance

उल्का

उल्का

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लटपट नार करके सिंगार

लटपट चाल चले नदी किनार

छम छम् घुंगरू बाजे पायल

पतली कमरिया हीले कोमल


चंदा जैसा तेरा मुख कमल

चंदन जैसी कोमल बदन

नाद मधुर तेरे बोले कंगन

तुझे देख केहता हैं मेरा मन 


लग न जाय रावण की नजर

खुदा ने भेजा रहमो कर्म

मेरा दिल गिर गया तेरे पाँव तले

आ तरन्नुम लग जा गले


एक चतुर नार मेरे आजा घर

लग जये मेरी तुम्हे लंबी उमर

बसा लूँगा मेरे दिल के पास

ये नट खट नार तुझी से हो गया प्यार।


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