मानवता धर्म
मानवता धर्म
मानवता धर्म | जगी आहे श्रेष्ठ ||
नको निती भ्रष्ट ठेव ध्यानी | १||
पशुपक्ष्यावर | करा सदा प्रेम ||
नाही कधी | नेम माणसाचा || २||
माझे माझे सोड | धर सेवाभाव ||
नाही का रे ठाव | आयुष्याचा ||३||
दया कर सदा | ओळख भुकेला |
ह्या माणुसकीला | जप जरा ४||
नको दुःख देऊ | कोणत्या जीवास |
ठाऊक देवास | असे सारे ५||
जगाची मनाची | ठेव लाज थोडी ||
संसरात गोडी | वाढेलच ||६||
आचार नेटके | संस्कार पेरावे |
तेच उगवावे | नव्या पिढी ||७||
भुकेलेल्या अन्न | तहानल्या पाणी ||
निस्वार्थ भावांनी | सेवा करा ||८||
पुजा मायबाप | कल्याण होईल ||
पुण्य हो मिळेल | आपोआप ||९||
गुरु जगी थोर | आशिर्वाद देती |
गुरूची महती | भुलू नये||१०||
मिनु म्हणे आता | जप मानवता ||
सांगे जाता जाता | जीवनात ||११|||