ज़िंदगी से गुफ़्तगू
ज़िंदगी से गुफ़्तगू


प्रिय डायरी,
शब्दों को उकेरते समय शायद हम सबसे अधिक भोले हिट हैं ।कहते हैं ये पूरी दुनिया केवल एनर्जी है ,सबकुछ एटम्स के भीतर है और ऊर्जा का यह नियम कहता है ऊर्जा कभी खत्म नहीं होती केवल रूप बदल लेती है ।
आप कहेंगे ये कोई डायरी में दर्ज करने जैसी बात तो नहीं ? पर ऐसा है नहीं ! इसमें आपके काम की बात भी है। क्या होता है जब हम बहोत खीझ जाते हैं ,जब किसी ने हमारा काम बिगाड़ दिया हो, किसी ने हमारी चुगली लगा दी हो ? जो गुस्सा हममें घूमता रहता है हर पल कहीं चैन नहीं लेने देता वो क्या है ? वो भी तो हमारे भीतर की ऊर्जा ही है जो हममें ही घुट रही है और हमें ही नुकसान पहुँचा रही है ।क्यों न इस खाली समय में हम उस नफरत और गुस्से की ऊर्जा को किसी पन्ने पर किसी चरित्र में उतार दें ! शायद इस बहाने ही हम उस सामने वाले कि स्थिति को भी ज्यादा बेहतर समझ पाएंगे ! हो सकता है हमारा गुस्सा ही बेवजह लगे हमें !
कोई मज़ाक नहीं है ये और जो हो भी तो आप एक बार ट्राय कर सकते हैं! और अब तो है कहने की भी वज़ह नहीं है कि जी आप बड़े बिजी इंसान हैं !
तो जरा अपने ऊपर रहम करके एक बार इस तरीके को भी अपना लें।बहरहाल लॉक डाउन के कोविड से लड़ने के अलावा भी बड़े फायदे हैं दुनिया सिर्फ हम इंसानों की बपौती तो नहीं पर छोड़िये इसे समझने के लिए जो निस्पृहता चाहिए वो हम आम इंसानों के गुरुर के आगे बमुश्किल टिक पाती है। आज दुआ केवल ये कि हम इंसान अपनी नाक के आगे पीछे,ऊपर और नीचे सब तरफ देख पाएं ऊपरवाला हममें इतना आत्मविश्वास भर दे ! आमीन !