Priyanka Gupta

Drama Romance

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Priyanka Gupta

Drama Romance

ज़िन्दगी में प्यार आ ही गया day-9

ज़िन्दगी में प्यार आ ही गया day-9

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"तू उसे कुछ बताता क्यों नहीं ? रोज़ स्कूल के बाद उसके पीछे -पीछे खुद तो जाता ही है और हमें भी साथ में लेकर जाता है। " ,रोहन के दोस्तों ने अपनी साइकिल रोकते हुए कहा। 

"बताया और उसने मना कर दिया तो। ",रोहन ने कहा। 

"वैसे भी उसके पीछे -पीछे जाने से कौनसा वह हाँ कर देगी ? चल आज बताते हैं। ",दोस्त ने कहा। 

रोहन हिम्मत करके उसके पास गया। वह कुछ उससे बोलता, उससे पहले ही वह साइकिल रोककर बोली, "तुम रोहन हो  न। सुरेश अंकल के बेटे। अंकल की दुकान पर तुम्हारी फैमिली फोटो देखी थी। "

"अच्छा, वह आपका दुपट्टा लटक रहा था। साइकिल में दुपट्टा फँस गया तो कोई दुर्घटना हो सकती है। ",रोहन ने हकलाते हुए कहा। 

"आप बहुत तेज़ साइकिल चलाते हो। कब से आपके पीछे यही बताने के लिए आ रहे थे और अब जाकर कहीं आपके पास आकर पहुँचे हैं। "रोहन के दोस्त ने हँसते हुए कहा। 

रोहन और उसके दोस्त वहाँ से वापस लौट गए। अगले दिन फिर रोहन उसके पीछे जाने लगा। "आज हम तेरे साथ नहीं आ रहे। तू अकेले ही जा। रोज़-रोज़ तेरे साथ जाने का कोई फायदा नहीं। ",दोस्तों ने आधे रास्ते के बाद ही रुकते हुए कहा। 

"अरे, यह किताब आपके बैग से गिर गयी थी। कब से आपके पीछे आ रहा हूँ ;आप यहाँ अपने घर पर ही आकर रुकी हो। वैसे यह आपका ही घर है न ?", रोहन ने कहा। 

"शुक्रिया, यह मेरा ही घर है। अंदर आओ। ", उस ने कहा। 

"नहीं -नहीं। आज नहीं फिर कभी। वैसे आपका नाम क्या है ?",रोहन ने डरते -डरते पूछा। 

"अरे, तुम्हें मेरा नाम भी नहीं पता। मेरा नाम मीनल है। ",मीनल ने कहा। 

रोहन मुस्कुराते हुए लौट आया। उसके दोस्त रास्ते में ही रुके हुए थे और उसी का इंतज़ार कर रहे थे। 

"क्या हुआ ?", रोहन को मुस्कुराता हुआ देखकर दोस्तों ने पूछा। 

"तुम लोग अभी तक यहीं हो। मेरे साथ आने से तो मना कर दिया था। ",रोहन ने बात बदलने की गरज से कहा। 

"अरे नालायक, यह बता कि आज बात आगे बढ़ी या नहीं। ",दोस्तों ने पूछा। 

"बढ़ी न ;बहुत आगे बढ़ी। ",रोहन ने कहा। 

"अब पहेलियाँ न बुझा। बता दे। ",एक दोस्त ने कहा। 

"उसका नाम मीनल है ;आज उसने अपना नाम बताया। ",रोहन ने मुस्कुराते हुए कहा। 

"वाह मेरे शेर ;आखिर नाम का पता लगा ही लिया, वह भी महीनों के बाद। ",एक दोस्त ने हँसते हुए कहा। 

"मिट्टी के शेर।",किसी और दोस्त ने कहा और सब मिलकर हँसने लगे। 

कुछ दिनों बाद, एक दिन जब रोहन अकेला ही मीनल का पीछा कर रहा था ;मीनल कुछ दूर जाकर रुक गयी और रोहन से कहने लगी कि, "तुम्हारी मदद चाहिए थी ?"

"बोलो, क्या बात है ?",रोहन ने खुश होते हुए कहा। 

"वो क्या है कि कल घर पर तपन का फ़ोन आया था। पापा के पूछने पर मैंने बताया कि रोहन का फ़ोन है। तपन और मैं एक -दूसरे को पसंद करते हैं। अगर कोई बात हो तो सम्हाल लेना। ",मीनल ने कहा। 

"ठीक है। ",रोहन ने दुःखी मन से कहा और वहाँ से चला गया। 

कुछ सालों बाद रोहन कॉलेज में आ गया था। रोहन कॉलेज की यूनियन का एक महत्त्वपूर्ण नेता बन गया था। कॉलेज में रोहन का अच्छा दबदबा था। कॉलेज में नए प्रवेश हो रहे थे। फर्स्ट ईयर के विद्यार्थी आ रहे थे ;सीनियर्स विद्यार्थियों का इंट्रोडक्शन ले रहे थे। रोहन भी कभी -कभी अपने दोस्तों के साथ फर्स्ट ईयर के विद्यार्थियों का इंट्रोडक्शन लेने के लिए आ जाता था। 

एक दिन रोहन अपने दोस्तों के साथ कॉलेज की कैंटीन में था। तब ही वहाँ एक लड़की आयी, रोहन ने उसे पहली बार कॉलेज में देखा था। रोहन ने सोचा कि फर्स्ट ईयर की कोई नयी विद्यार्थी है। 

वह लड़की कैंटीन के काउंटर पर खड़ी थी और उसने एक सैंडविच और कॉफ़ी ऑर्डर किया। उस समय रोहन भी वहीं पर खड़ा था। रोहन ने कहा कि, "समोसा और चाय यहाँ का बेस्ट है। तुम्हें ट्राई करना चाहिए। वैसे फर्स्ट ईयर में किस सेक्शन में हो? क्या सब्जेक्ट है ? तुम्हारा नाम क्या है ?"

"एक ही साँस में इतने सवाल। मेरा नाम मनाली है। मैं यहाँ गेस्ट फैकल्टी के तौर पर आयी हूँ। कंप्यूटर क्लास लूँगी। ",मनाली ने एक ही साँस में कहा। 

"सॉरी मैडम, मैडम को फटाफट सैंडविच और कॉफ़ी दे दो। ",रोहन ऐसा कहकर जाने लगा। 

"कॉफ़ी और सैंडविच क्यों भला ? समोसा और चाय अच्छा है न यहाँ का ? अपना इंट्रो तो दो। बिना इंट्रोडक्शन दिए कहाँ जा रहे हो। ",मनाली ने कहा। 

"मैडम, मैं ......मैं रोहन हूँ। बी कॉम थर्ड ईयर का विद्यार्थी हूँ। ",रोहन ने कहा। 

"वाह रोहन, तुम्हारी भी कंप्यूटर की क्लास मैं ही लूँगी। मैंने इसी साल mca कम्पलीट किया और यह नौकरी मिल गयी। वैसे मैं सुंदरपुर से हूँ। यह जगह मेरे लिए नयी है ;लेकिन जगह और लोग दोनों ही अच्छे हैं। ", मनाली ने मुस्कुराते हुए कहा। 

"ठीक है मैडम ;अगर आपको कभी कुछ भी चाहिए हो तो मुझे याद कीजियेगा। ",रोहन ने कहा। 

"बिलकुल, तुम्हारे सिवा किसी और को जानती भी कहाँ हूँ। लो तुम भी चाय पियो। ",मनाली ने चाय रोहन को पकड़ाते हुए कहा। 

मनाली का खुशनुमा व्यक्तित्व रोहन को भा सा गया था। वहीं रोहन की सहजता ने मनाली के दिल में घर बना लिया था। रोहन मनाली की हर क्लास में उपस्थित रहता था। दोनों को ही एक -दूसरे का साथ अच्छा लगता था। मनाली ने कॉलेज के वार्षिकोत्सव के लिए रोहन की क्लास के विद्यार्थियों के साथ मिलकर एक डांस ड्रामा भी तैयार करवाया। 

वार्षिकोत्सव के दिन ही मनाली को सुंदरपुर जाना था ;शाम को उसका स्कूल फ्रेंड उसे लेने आने वाला था। मनाली द्वारा तैयार करवाया गया डांस ड्रामा सभी ने बहुत पसंद किया। मनाली जाने के लिए तैयार थी। उसका फ्रेंड आ गया था। रोहन ने मनाली को यह सोचते हुए बाय -बाय किया कि, "जब मनाली लौटेगी ;वह उसे अपने दिल की बात जरूर कहेगा। " मनाली की आँखें भी यही कह रही थी कि, "रोहन जल्द ही अपने दिल की बात कहना। "

मनाली वापस नहीं लौटी। लौटी तो उसके एक्सीडेंट की खबर। मनाली ने उस एक्सीडेंट में अपनी याददाश्त को खो दिया  था। रोहन उसकी ज़िन्दगी में छोड़ो, अब यादों में भी नहीं था। 

कॉलेज के बाद रोहन ने अपन बेकरी खोल ली। एक दिन रोहन बेकरी बंद करके जाने ही वाला था कि एक लड़की बड़ी जल्दी में आयी। रोहन को देखते ही बोली कि, " प्लीज, मुझे केक दे दो। मेरे पापा का जन्मदिन है और दिन भर इतनी व्यस्त रही कि केक का आर्डर करना ही भूल गयी। "

"मैडम, केक तो ख़त्म हो गए। ",रोहन ने कहा। 

"रोहन, प्लीज बेक कर दो। मैं इंतज़ार कर लूँगी। ",लड़की ने कहा। 

"आप मेरा नाम कैसे जानती हो ? नया केक कम से कम 1 घंटे में बनेगा। ",रोहन ने कहा। 

"मैं मंदागिनी हूँ, मीनल की दोस्त।", मंदागिनी ने कहा। 

"अच्छा। कैसी है मीनल ?",रोहन ने पूछा। 

"खुश है ;शादी भी हो गयी है। तुम्हारी शादी ?",मंदागिनी ने पूछा। 

"अभी तक नहीं। कोई मिली नहीं। ",रोहन ने कहा। 

"जल्द ही मिल जायेगी। ",मंदागिनी ने मुस्कुराते हुए कहा। 

कुछ महीनों बाद रोहन और मंदागिनी की शादी हो गयी। अंतिम रूप से रोहन की ज़िन्दगी में भी प्यार आ ही गया। 


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