युवा मन की भटकन
युवा मन की भटकन
दीपाली तंग आ गई थी अपनी सहेलियों की रोज-रोज की यह बातें सुनकर, अरे देखना अमन ने मुझे आज यह चिट्ठी दी।
सुमित ने मुझे यह कहा, रोहन ने मेरा फोन नंबर मांगा, सुरेश ने मुझे एफबी पर लाइक किया, क्योंकि ना तो कोई लड़का उसे कभी प्रपोज करता और ना ही उसकी तरफ देखता।
दीपाली बहुत ही साधारण सी लड़की थी लंबे बाल, छोटी छोटी आंखें, मध्यम कद। वह ओर लड़कियों की तरह हारसिंगार भी तो नहीं करती थी।
सादा जीवन उच्च विचार मन में लिए रखती क्योंकि उसके माता-पिता को भी सादा जीवन उच्च विचार ही पसन्द था। मगर जब वह कॉलेज में गई तो मानो उसकी सहेलियों के पंख लग गए हो। चाहती तो वह भी थी कि काश ऐसे पंख मुझे भी लगे मगर तकदीर ने कभी उसे यह मौका नहीं दिया।
जब वह अपने साथ पढने वाले देवांश को प्यार भरी नजरों से देखती तो उसे यही लगता मानो वह भी उसका मजाक बना रहा हो। उसने पलट कर कभी दीपाली को नहीं देखा, कि कोई दीपाली नाम की लड़की उसकी कक्षा में भी पढ़ती है।
दीपाली हमेशा इस बात से ईष्या करती कि मुझ में ऐसी क्या कमी है जो लड़के कभी मुझे देखते भी नहीं। हर कोई उसे बहन जी बहन जी बोलता। वह दुखी हो गई थी
एक दिन घर पहुंच दरवाजा बंद खूब जोर जोर से रोने लगी।
मम्मी पापा को लगा न जाने उसके साथ क्या हो गया, बार-बार दरवाजा पीटते रहे।
अरे बता तो सही क्या हुआ।जब उसका मन भर गया रोने से तो उसने दरवाजा खोला।
मां बाप की तो जैसे सांस अटकी पड़ी थी। पापा ने पूछा अब बोलेगी या यही सब ड्रामा रहेगा।
पापा से चिपक कर बोली मुझे कोई लड़का क्यों नहीं पसंद करता पापा।
कोई मेरी तरफ दोस्ती का हाथ क्यों नहीं बढाता। मुझे अपने सपनों का राजकुमार चाहिए, जब मेरी सहेलियां लड़कों के बारे में बातें करती है तो मेरी भी इच्छा होती है।
मां ने गाल पर एक चपत लगाई। पढ़ने भेजा है कि यह सब सोचने।
पापा ने कहा राजकुमार तो आएगा जरूर आएगा और उन सब से अच्छा राजकुमार आएगा। मगर बेटा यह जो समय है यह दोबारा वापस नहीं आएगा।
पढ़ लो जब तक मेरे पास हो।
शादी होते ही यह समय वापस नहीं आएगा, आएगी तो सिर्फ जिम्मेदारियां।
उसने पापा के चेहरे पर एक अलग सा विश्वास देखा और अपनी नादानी के लिए पापा से माफी मांगी।
सॉरी पापा मैं थोड़ी देर के लिए भटक गई थी। अपनी गुमराह होती सहेलियों के पीछे जा रही थी।
आपने मुझे गिरने से बचा लिया। मां ने समझाया अरे बेटा यह उम्र ही ऐसी होती है। कोई बात नहीं। अच्छी बात यह कि तूने अपने मन की बात हमसे बताई ओर बच्चों की तरह छुपाई नहीं।
रही बात तेरे सपनों के राजकुमार की तो उसे पापा ढूंढ ही लेंगे, चल अब खाना खा ले।