युद्ध
युद्ध
सम्राट अशोक युद्ध के प्रबंध का अवलोकन करने के लिए मैदान में पहुँचे। यह उनका अंतिम युद्ध था। कलिंग ने दासत्व अस्वीकार किया था और सम्राट अशोक को यह स्वीकार नहीं था।
रात्रि के तीसरे पहर उन्होंने किसी की आवाज सुनी। उन्होंने ध्यान से सुना तो दो द्वारपाल आपस में बात कर रहे थे-
“इतने छोटे राज्य से युद्ध क्या हमारे महाराज को शोभा देगा? क्या यह उनकी शक्ति प्रदर्शन करने का उचित समय हैं?”
“नहीं मेरे विचार से तो इस युद्ध का विचार ही व्यर्थ हैं। ना जाने कितने जीवन संकट में हो जाएंगे।”
सम्राट अशोक ने दोनों की चर्चा सुनी और यह युद्ध टल गया।