योगिता भवाना मेरी मार्गदर्शक
योगिता भवाना मेरी मार्गदर्शक
मैं दिल्ली में थी , मेरी आंखों के सामने एक बाइक सवार को तेजी से एक तेज रफ्तार बाइक ने टक्कर मारी और बाइक में बैठा हुआ युवक लहुलुहान होकर गिर पड़ा लेकिन वाह री मानवता ... लोग उसकी ओर देख कर हाय बेचारा ... कहते हुय़े अपने रास्ते जाते हुए पीछे मुड़ मुड़ कर देखते हुए चले जा रहे थे . मेरे कदम भी ठिठक गये थे , मैं समझ नहीं पा रही थी कि इस व्यक्ति की कैसे मदद करूँ तभी दास फाउंडेशन के लोग अपनी एंबुलेंस के साथ आये और घायल व्यक्ति को लेकर हॉस्पिटल चले गये ....जिज्ञासा वश मैं भी उनके पीछे हॉस्पिटल पहुँच गई वहीं पर मेरी मुलाकात योगिता जी से हुई ...... उनकी बातों को सुनकर मेरे जीवन को एक दिशा मिल गई और मैं उनके फाउंडेशन से जुड़ गई .... जीवन को लक्ष्य मिल गया और किसी मुसीबत जदा व्यक्ति की सहायता करके जो आत्मिक शांति या सुकून मिलता है , उसका वर्णन शब्दों में नहीं किया जा सकता क्योंकि वह खुशी या सुकून का शब्दों में वर्णन नहीं किया जा सकता , वह तो अनुभूति है...
उन्होंने बताया कि राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो का कहना है कि देश में रोज 77 महिलायें दुष्कर्म का शिकार होती हैं ...जो रिकर्ड में नहीं हैं उनकी गिनती करना मुश्किल है ... ऐसे समय में योगिता जैसी समाजसेवी के काम का महत्व स्वतः ही उजागर हो जाता है . ऐसे में उचित ही प्रसार भारती और डॉ जाकिर हुसैन फाउंडेशन ने उनके काम को सराहा है ....
दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रतिष्ठित मिरांडा हाउस कॉलेज से स्नातक योगिता भवाना गुरू गोविंद सिंह इंद्रप्रस्थ यूनिवर्सिटी से ‘ डिजास्टर मैनेजमेंट’ में पोस्ट ग्रेजुएट हैं . दिल्ली में पली बढी योगिता अपने केरियर के प्रति बचपन से बहुत सजग थीं . उन्होंने ग्रेजुएशन के बाद लगभग चार वर्षों तक किंगफिशर एयरलाइंस में काम किया था और फिर उन्होंने डिजास्टर मैनेजमेंट में पी. जी. की डिग्री हासिल की..
योगिता के मन में किसी भी जरूरतमंद की मदद करने का जज्बा तो बहुत पहले से ही था परंतु साल 2002 में हुए एक हादसे ने उनके जीने के लिये उनके मकसद को निश्चित कर दिया .... उनकी आंखों के सामने एक दर्दनाक हादसे ने उनके जीने के अंदाज पर कभी न मिटने वाला असर डाला .... उनकी आंखों के सामने एक सड़क दुर्घटना हुई और जवान व्यक्ति को रौंदने वाला वहां से फरार हो गया था ... वह व्यक्ति खून से लथपथ सड़कपर तड़पता रहा और कोई भी उसकी मदद करने के लिये नहीं आया ....योगिता से यह नही देखा गया , वह और उसके दोस्तदौड़ कर घायल व्यक्ति के पास पहुंचे ... उन लोगों वहां पर एकत्र तमाशबीनों से मदद करने कहा लेकिन वह सब धीरे धीरे वहां से खिसक गये ... आखिरकार किसी तरह उन दोनों ने मिल कर उस व्यक्ति को अस्पताल पहुंचाया .....
इस दौरान योगिता ने उसके परिवार के लोगों को सूचित कर दिया था लेकिन अस्पताल की औपचारिकतायें पूरी करने में ही लगभग दो घंटे लग गये थे , और जब तक इलाज शुरू पाये , बहुत देर हो चुकी थी ....उस शख्स की सांसें बंद हो चुकीं थीं ..एक से पांच साल के तीन अबोध बच्चे अनाथ हो चुके थे . कम उम्र की विधवा के विलाप से उनका दिल मर्माहत हो उठा था ... उन्होंने अपने जीवन में ऐसा हादसा पहली बार देखा था ....
घर लौट कर आने के बाद उनके आंखों से नींद उड़ गई और कानों हर पल उस महिला का विलाप गूंजता रहता ...बस एक ही सवाल उनका आहत मन बार बार पूछ बैठता ... गरीबों की यह कैसी जिंदगी है .? योगिता ने फैसला किया कि वह उस महिला ऒर नन्हें बच्चों का साथ देगी ....बतौर गवाह वह कोर्ट में पेश हुई और प्रयास करके उन लोगों को मुआवजा भी दिलवाया . इसके अलावा भी उन्होंने अलग से भी उसकी मदद की .... इस एक मुकदमें ने योगिता को एहसास करवा दिया कि साधारण व्यक्ति के लिये इंसाफ पाना कितना मुश्किल काम है....
किंगफिशर एयरलाइंस में जब उनको नौकरी मिली थी तब वह 23 वर्ष की थी परंतु उनकी काबिलियत को देखते हुये मैनेजमेंट ने उन्हें सीनियर मैनेजर बना दिया था परंतु इस हादसे के बाद अस्पताल में और फिर मुकदमें के दौरान अदालतों में जो अनुभव हुआ उससे उनका मन बहुत उद्वेलित रहने लगा और अंततः उन्होंने 2007 में नौकरी छोड़ दी . उसी साल उन्होंने ‘’दास फाउंडेशन” की नींव रखी और सड़क हादसे में घायल लोगों की मदद करने में जुट गईं ....
जब निर्भया कांड ने पूरे देश के संवेदनशील लोगों के मानस को झकझोरा था उस समय योगिता राष्ट्रीय महिला आयोग से जुड़ी हुईं थीं ...अन्य लोगों के साथ उन्होंने ऐसे अपराधों से देश को निजात दिलाने के लिये सरकार पर दबाव बनाना शुरू कर दिया . साल 2015 में जब जुवेनाइल आरोपी के बारे में पता चला कि उसे कैद से आजादी मिलने वाली है , तब उन्होंने निर्भया की मां को बुलाया और उसके विरुद्ध बड़ा प्रदर्शन किया ... तब इन दबावों से मजबूर होकर सरकार ने बलात्कार मामलों में जुवेनाइल की उम्र 18 से घटा कर 16 करने संबंधी विधेयक राज्यसभा से पारित हुआ ....
निर्भया जैसे बर्बर दुष्कर्म के आठ नौ मामलों को योगिता इंसाफ की दहलीज तक लेकर गईं . उनका पूरा पूरा दिन अदालतों में गुजरने लगा ... अंततः उन्होंने साल 2013 में बलात्कार पीडितों व उनके परिवार की मदद और पुनर्वास के लिये ‘पीपुल अगेंस्ट रेप इन इंडिया ‘ नामक संगठन शुरू किया ताकि और लोग भी ऐसे नेक काम के लिये आगे आयें . अपने “उत्थान प्रोजेक्ट” के तहत योगिता ने अब तक 1000 से अधिक अकेली बेसहारा महिलाओं को कौशल विकास का प्रशिक्षण दिलाकर स्वावलंबी बनने में मदद की है .
राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो जब बता रहा है कि देश में हर रोज 77 महिलायें बलात्कार का शिकार बनती हैं , तब योगिता भवाना जैसी समाजसेवी के काम की महत्ता स्वतः उजागर हो जाती है . आवश्यकता है कि इस क्षेत्र में अन्य स्वयं सहायता समूह आगे आयें और योगिता भवाना से प्रेरणा लें ..ऐसे समूहों को पुरुस्कृत करने और प्रचार करने की नितांत आवश्यकता है .
उनके फाउंडेशन के साथ जुड़ कर मेरे जीवन को राह मिल गई है , समाज को ऐसे स्वयं सहायता समूहों की बहुत आवश्यकता है जो इस तरह की मुसीबत में फंसे लोगों की सहायता करें .... युवाओं को ऐसी संस्थाओं से जुड़ कर समाज सेवा के आगे आने की जरूरत है ....
समस्त युवाओं से मेरी अपील है कि अपने काम के बाद थोड़ा समय यदि ऐसे किसी भी समूह से जुड़ कर किसी की मदद करेंगें तो आपको उस व्यक्ति के चेहरे पर मुस्कान देख कर स्वयं ही सच्ची खुशी महसूस होगी. ....
