यो यो पापा
यो यो पापा
'क्या दिन भर जुएँ सी मारती रहती हो।' पहलेे मुझे पापा की इस बात को सुन कर हँसी आती थी। लेकिन अब चिढ़ होने लगी है।
कैसे मोबाइल पर गेम खेलना या चैट करना जुएँ मारने जैसा है। कितने पैसे खर्चा किए हैं मैंने शैम्पू, सीरम और पचास तरह के आयल पर, अभी किसको जुएँ होती हैं।
वैसे मैं फोन इतना यूज़ नहीं करती, फिर भी घर पर वाई-फाई होने की वजह से बहुत वक़्त लग जाता है। मेरी नौकरी दूसरे शहर में है। केवल शनिवार रविवार घर पर आ पाती हूँ।
मम्मी पापा के पास बहुत सी बातें होती हैं, मुझसे करने के लिए, लेकिन मेरे पास शायद कोई विषय नहीं।
कुछ लोग खुशनसीब होते हैं जो किसी भी विषय पर बातचीत कर लेते हैं। मुझमे लड़की होने के बावजूद इस कला का अभाव है। फिलहाल इस समस्या के मुझे दो समाधान नज़र आते हैं, पहला की घर पर मोबाइल से दूरी रखी जाए या मम्मी पापा को भी मोबाईल दिला दीया जाए।वैसे भी बच्चों के साथ माँ बाप भी बड़े होते हैं। उन्हें भी नई चीज़ों का पता चलना चाहिए।
तोहफे के लिए किसी जन्मदिन या एनिवर्सरी का इंतज़ार नहीं करना चाहिए। मम्मी-पापा दोनों का फ़ोन एक साथ ही मंगवा लिया गया। पहले दोनों मना कर रहें थे लेकिन मुझे पता है उनकी ख़ुशी का ठिकाना नहीं था। जब मैं घर पर शनिवार को पहुँची।
दो गुट बन चुकें थे। मम्मी-पापा की शिकायत थी कि बेटा उन्हें कुछ नहीं सीखा रहा है। स्क्रीन-गार्ड भी नहीं लगवा रहा।
बेटे की शिकायत थी कि हर आधे घंटे में उससे बस यही कहा जा रहा है। दस बार सीखा चुका हूँ लेकिन एक ही गलती बार-बार कर रहे हैं।
समाधान, बस मैं ही कर सकती थी। मेरे पास धैर्य की कोई कमी नहीं है। भाई ने मम्मी को और मैंने पापा को सिखाने का तय किया।
मम्मी को तो पहले से ही गेम खेलने का शौक था, वो तो एक बार में समझ गईं।
मैंने पापा को समझाना शुरू किया।
फोन चालू बंद करना पापा सीख चुके थे। मेरे हिस्से मुश्किल काम था, ए व्हाट्सएप्प कैसे चलता है।
मैंने सिखाना शुरु किया।
'आप का जो मन करे, वो आप इसमें लिख के भेज सकते हैं, पापा। जैसे गुड मोर्निंग... क्या हाल है। जो भी लोग पूछे उसका रिप्लाई कर दो। लोगों के रिप्लाई देखो। हिंदी की इंग्लिश बना लो बस।
चलो, अब मुझे व्हाट्सएप्प पर भेजो, 'क्या हाल है' को इंग्लिश में लिखकर।'
पापा ने लिखा, 'Khya hale he...'
'अभी ए एक्स्ट्रा h क्यों आया है kya में?', मैंने खीझ कर कहा।
पापा- 'चलो इंग्लिश में 'हाउ आर यु' लिख दूँ, इतना तो मुझे आता है क्या बिल्कुल गवाँर समझा है।'
इतना कह के दो चार लोगों को भेज दिया।
किसी ने जवाब में वापस 'i m fyn.. how r u?'
देख, इसने तो सब कुछ गलत लिखा है....कोई भी स्पेलिंग ठीक नहीं है। पापा चींखे।
मैंने कहा कि 'शॉर्टकट है, पापा।' मन ही मन गालियाँ दी कमबख्त़ को। इसने भी अभी मैसेज करना था।
पापा- 'मैं समझ गया कुछ भी लिख दो चलता है।'
सही पकड़े हैं। पापा तो होशियार निकले।
एक मैसेज आया था, जिसमे बहुत से बादल बने थे...लिखा था, किसी भी बादल पर दो बार क्लिक करो। बिजली कड़केगी।
अब पहले तो बिजली कड़कानि थी, फिर उसे दूसरों को भेजना भी सिखाना था।
'पापा जल्दी-जल्दी दबाओ, देखो थोड़ा सफ़ेद थोड़ा नीला हुआ? बस यही बिजली कड़क गई है। अब देर तक दबाओ जब तक नीला ना हो जाए। फिर तीर का निशान दिखा, उसपर दबाओ और मेरा नाम पर जाके वापस उंगली दबा दो। समझे? करके दिखाओ।' मैंने कहा।
पापा ने वैसा ही किया। जैसे ही मेरा नाम आया, मेरा स्टेटस था 'ज़िंदगी मोहमाया है।'
'ये क्या फालतू बात लिखी है।' पापा ने बोला।
हे भगवान! मैंने सर पकड़ लिया। मुझे टी.वी.एफ का एक वीडियो याद आ गया। वो कितना लकी था, जो फोन पर सीखा रहा था।
मैंने बोला कि 'जो सीखा रही हूँ सीख लो चुपचाप।' गुस्सा आ रहा था। सीखे तो इतना तगड़ा सीखे 10-15 मैसेज एक साथ, इनबॉक्स भर गया मेरा।
मैंने कहा 'पापा इतने भी मैसेज मत भेजो।'
पापा का जवाब आया 'अरे भगवान के नाम और चित्र ही तो भेज रहा हूँ। आज मंगलवार है, हनुमान चालीसा भी भेजनी बनती है। और ये वाला वीडियो देख, इसमें बिल्ली आरती गा रही है, कमाल का है।'
मैंने कहा 'ब्लॉक कर देगा कोई आपको।'
'उससे क्या होगा' पापा ने पूछा।
आप उस आदमी को आगे से मैसेज नहीं कर पाएंगे।
'तो दूसरों को तो भेज सकता हूँ ना।' पापा ने कहा।
कमाल का कॉन्फिडेंस है पापा को। अब इसका मेरे पास जवाब नहीं था।
'ये देख किसी ने हँसते हुए पीले आदमी की शक्ल भेजी है। ' पापा ने शाम को अचानक आकर बोला।
आप भी भेज सकते हो इस जगह दबाओ खूब सारे हैं।
'मैं भी भेज देता हूँ, ये मूँछ वाला भेज दूँ।' पापा बोले।
ये मूँछ नहीं है पापा। ये गुस्सा कर रहा है, ये सफ़ेद मुछे नहीं, गुस्से की हवा है, जो सफ़ेद हवा जैसे बनाई हैं।
उस दिन के बाद से हँसने वाले आदमियों की बहार है मेरे और पापा की चैट में।
मैं घर से बाहर थी। पापा का मैसेज आया 'आज कमाल का मैसेज आया है, तुझे भेजा है तू भी देख।'
उस मैसेज में एक कॉफी का फ़ोटो था, लिखा था 'इसपर क्लिक कीजिए और नाश्ता हाजिर हो जाएगा।'
मैंने क्लिक किया और पूरा लंबा मैसेज खुल गया जिसमें नमकीन, समोसे, कोफ्ते आ गए। कमाल है।
हमारे पूर्वज आज आ जाए तो भगवान को छोड़ गूगल, फेसबुक, व्हाट्सऐप बनाने वालों की पूजा शुरु कर दें।
मैंने कहा 'आप क्या कर रहे हो?'
'Phak jr rhh h'
पापा ने नई लिपि इज़ाद की है, जो मेरे समझ से बाहर है।
'क्या कह रहे हो?'
'Pak ja rha hun' जवाब आया।
फ्रेश होने जाने के लिए, ये वाक्य कहकर पापा अनजाने में ही राष्ट्रवाद को बढ़ावा दे देते हैं।
ये भी कहने की बात है क्या।
मैं सो रही थी सुबह के 6 बजे होंगे। अभी आधी नींद ही पूरी हुई थी की ज़ोर-ज़ोर से खिलखिलाने की आवाजें आयी।
देखा तो पापा वीडियो देख कर ज़ोर-ज़ोर से हँस रहे थे। वीडियो में, एक बन्दर एक आदमी को लात मार रहा था।
अपनी प्रजाति की बेइज़्ज़ती में कितना मज़ा आ रहा था उनको।
मैंने नींदों में झल्ला कर बोला, 'पापा इयरफोन नाम की भी कोई चीज़ होती है।'
हे, भगवान गणेश जी के इतने नाम, महाभारत के चरित्र सब कुछ 56 दिन में पता चल गया।
'पापा कैसा चल रहा है व्हाट्सऐप' मैंने एक दिन पूछा।
'मेरे पास गुड मॉर्निंग और गुड नाईट का तो मैसेज है पर गुड आफ्टरनून का नहीं है, और एक तू गुरुवार का मैसेज भी ला कहीं से।' पापा की नयी फरमाइश है।
'देख मेरे फ्रेंड ने मुझे 1 मैसेज किया है, मैंने बदले में 6 मैसेज किए हैं। उसने एक मैसेज अंग्रेजी में किया है, मुझे भी अंग्रेजी का ही भेजना है, तेरे पास है क्या। पीछे नहीं रहना चाहिए।'
इतना ज़्यादा हँसी मुझे सालों में पहली बार आई थी। आँसू आ गए हँस-हँस के।
'50 मैसेज रोज़ का, काम मेरा रोज़ का'
'ना मुझको कोई रोके ना किसी ने रोका'
यो यो पापा का स्वेग चालु है।
लो फिर से मैसेज आ गया और ये तो बस शुरुआत है।