" यमलोक का प्रेस कांफ्रेंस "
" यमलोक का प्रेस कांफ्रेंस "
आज तो यमलोक में उथल -पुथल मचा हुआ था ! यम का सिंहासन चमक रहा था ! रत्नजड़ित सिंघासन के करीब चित्रगुप्त का आसन सजाया गया था ! विशाल सभागार में अनेक कुर्सियां लगाई गयी थीं ! जगमगाती रोशनिओं ने वहां की खूबसूरती में चार चाँद लगा रखी थी ! आज एक विशाल प्रेस कांफ्रेंस का अद्भुद आयोजन किया गया था ! देश विदेश के प्रेसों को आमंत्रण भेजा गया था ! ठीक १० बजे लोग आने लगे ! सभागार की कुर्सिओं पर बैठने लगे ! सभी प्रेस मीडिया के बैठने के बाद दो शस्त्रसुज्जजित दरबानों ने आवाज लगाई -
" होशियार ....सावधान ...
खड़े हो जाएँ ...
चित्रगुप्त महाराज पधार रहें हैं "!
सारे के सारे लोग सावधान खड़े हो गए ! चित्रगुप्त पीताम्बरी धोती .. स्वर्ण जड़ित मुकुट और दोपट्टा ओढ़े दरबार में उनका प्रवेश होता है ! सब अभिवादन करते हैं ! उनके अभिवादन स्वीकार करते सब अपने सिंघासन पर बैठ जाते हैं ! कुछ क्षणों के बाद फिर सभागार में आवाज गूंजीं-
" होशियार ....सावधान ...
खड़े हो जाएँ ...
यम लोक के .....
महाराजाधिराज यमराज जी पधार रहे हैं "!
सारे के सारे लोग पुनः सावधान खड़े हो जाते हैं ! यमराज जी पुर्णतः सुज्जजित होकर चार अंगरक्षकों के साथ अपने आसन तक पहुँचते हैं और अभिवादन कबूल कर अपने ऊँचे स्थान पर बैठ जाते हैं !
चित्रगुप्त खड़े होकर यमराज जी का अभिवादन करते हैं और आज के दरबार का उद्देश्य लोगों को बताते हैं !-
" श्रीमान ...आज के दरबार में मृत्य लोक से
एक विचित्र प्राणी को
पांच सालों के बाद इस
दरबार में लाया गया है !
पांच सालों तक इन्होंने जो कुछ किया
वह कुछ भी नहीं !
ये हमेशा लम्बी -लम्बी फेंकते थे !
अब इनकी बोलती बंद हो गयी है !
सारी जिम्मेबारी देश की इनके ऊपर थी
और प्रेस कांफ्रेंस में इन्होंने अपना रोब्बोट को लाया है "!
यमराज ने आदेश दिया -
" पेश किया जाय
और कार्यवायी शुरू किया जाय !"
अंगरक्षक जोर से आवाज लगाते हैं -
" मृत्य लोक के विचित्र प्राणी को हाजिर किया जाय ....
" मृत्य लोक के विचित्र प्राणी को हाजिर किया जाय ....
" मृत्य लोक के विचित्र प्राणी को हाजिर किया जाय ....!!"
विचित्र प्राणी अपने विशालकाय रोब्बोट को लिए दरबार में प्रवेश करता है !
यमराज का आदेश हुआ -
" प्रेस कांफ्रेंस शुरू किया जाय "!
विचित्र प्राणी से कुछ नहीं बोला गया ! पहले तो आकाश फाड़ देते थे !
अब जितने भी प्रश्न पूछे गए रोब्बोट ने रटा -रटाया ही कहा !
प्रेस वाले तंग हो गए !
अंत में यमराज भी तंग हो गए और
"आर्डर .....आर्डर ...आर्डर " .....कहकर आदेश दिया -
" अगली तारीख २३ मई २०१९ दी जाय "
दरबार समाप्त हो गया !