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seema singh

Abstract

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seema singh

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ये रातें दर्द भरी

ये रातें दर्द भरी

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ये रातें मुझे डराती हैं

कहीं दूर अंधेरी गलियों में

ये चोरों सी छुप जाती है,


जाने की करूँ जो पास मैं

इसके कोशिश ये मेरे पीछे पीछे

उलटे पाँव दौड़ी चली आती है,


डरता हुँ मैं ना खो जाऊं

कहीं इसकी काली घनी छटाओं में

थर थर काँपे ये रूह मेरी अकेले


तन्हाँ दर बड़ा लागे,

करते शिकायत किस्से

हम और किसको क्या बतलाते

हँसंगे हम पर ये


सोच बात मन में दबाते,

ये रातें मुझे डराती हैं।


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