VEENU AHUJA

Inspirational

4.5  

VEENU AHUJA

Inspirational

ये कहाँ आ गए .हम

ये कहाँ आ गए .हम

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आज ' मन बहुत उदास है। कुछ भी करने का मन नहीं कर रहा हालांकि कोरोना संक्रमण के लगभग पच्चीस दिन होगए। कोई लक्षण नहीं। थोड़ी कमजोरी है : तभी फोन की घंटी बजी।. बजती रही।. किसी से बात करने का मन नहीं था। क्यों बात करू ? हमेशा सबके काम आया। पूरी रिश्तेदारी मान देती थी। पर क्या फायदा ? उसके परिवार पर संकट आया तो कौन आया? अकेली पत्नी विभा सब सम्भालती रही। घर बाहर। दवा सब्जी और फिर उसने भी बिस्तर पकड़ लिया। जीवन। मृत्यु की दहलीज़ पर कोई दोस्त कोई पड़ोसी मददगार न था।

मैं अब किसी से कोई सम्बन्ध नहीं रखूंगा चाहे कोई जिए या न जिए। सारा संसार बेकार है। मैं भी बेकार हूँ परिवार को सुरक्षित न कर सका। मुझे मर जाना चाहिए। मेरे बाद पत्नी बच्चे दर दर भटकेगें। हम सबको मर जाना चाहिए '।.. लिखते लिखते मैं रोने लगा।..

इतने मे रसोईघर से पत्नी दौड़ती हुयी आयी।. क्या हुआ ?

मैंने डायरी उसकी ओर घुमा दी ' पढ़ते समय कई रंग उसके चेहरे पर आए।. अंत में मुस्कराई और स्टूल खींचकर उसके पास बैठ गयी।

उसने धीरे से मेरा हाथ अपने हाथ में लिया फिर होठों से स्पर्श किया और बोली।

आप। ऑख बंद करें मैने कौतूहल से उसकी ओर देखा। वह बोली। मुझ पर विश्वास है न।

मैंने हामी भरते हुए ऑखें बंद की। विभा ने कहा। ह। म।. अब लंबी सांस लें। मैंने हड़बड़ाकर आँख खोल दी क्या बेकार में बाबा रामदेव बन रही हो।. होठों पर उंगली रख उसने चुप रहने को कहा और बच्चों सा मुॅह बना ऑख बंद करने का अनुरोध ' ये पत्नियां सच में बहुत शातिर होती हैं। अपने मन का करवा ही लेती हैं।.

विभा के अनुसार मैंने तीन से चार बार लंबी सांस ली रोकी फिर छोड़ी।.. विभा ने धीरी आवाज़ में गाना लगा दिया था।

ये कहाँ आ गए हम

यूँ ही साथ चलते चलते

मैं विभा में खोता चला गया।

( कुछ पल पहले मैं मरने की सोच रहा था और अब।..

विभा ने बताया। कोविड के बाद कभी कभी डिप्रेशन पीछे के दरवाजे से आपके घर मे प्रवेश कर सकता है। मानसिक मजबूती। जानकारी व मूड सही रखने के उपाय उस दरवाजे को खुलने नहीं देते '

तो गाएं।

आजा नचले नचले।.


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