ये कहाँ आ गए हम?
ये कहाँ आ गए हम?
दिल्ली का इन्दिरा गाँधी इन्टरनेशनल एयरपोर्ट....
आज ही समीर कैलीफोर्निया से लौटा है, सालों बाद उसने भारत की धरती पर अपने कदम रखे थे, जब वो कैलीफोर्निया गया था तो अपना बहुत कुछ यही भारत में छोड़कर गया था, वो अपने अतीत के बारे में सोच ही रहा था कि उसकी नज़र एक महिला पर पड़ी जिसने काटन की साड़ी पहनी थी और बालों का जूड़ा बनाया था, बालों पर छाई सफ़ेदी और आँखों पर चढ़ी ऐनक से उसकी उम्र कुछ ज्यादा ही दिख रही थी जितनी की उसकी उम्र उतनी थी नहीं....
समीर ने उसे देखा और पहचान लिया और उसके पास जाकर बोला_
कैसी हो?
समीर की आवाज़ सुनकर वो महिला कुछ अवाक सी रह गई....
तब उसने फिर से पूछा__
लगता है पहचाना नहीं!
कैसी बातें करते हो? समीर! तुम्हें कैसे भूल सकती हूँ, उस महिला ने कहा।
मुझे लगा कि शायद तुम मुझे भूल गई, समीर बोला।
उस शख्स को कैसे भूल सकती हूँ जिसके साथ मैंने अपनी जिन्दगी के इतने खूबसूरत पल गुज़ारे हैं, उस महिला ने कहा।
शैलजा! तो तुम्हें अभी तक वो सब अब भी याद है, समीर ने पूछा।
भूल तो तुम गए मुझे, जो मेरी एक भूल पर मुझे तलाक देकर छोड़कर चले गए, तुम्हें पता था कि मैंने अपने और तुम्हारे घरवालों के खिलाफ़ जाकर तुमसे शादी की थी लेकिन मेरे लाख समझाने पर भी तुमने मेरी एक ना सुनी और अपने पिता की बात मानकर ये रिश्ता तोड़कर चले गए, जबकि तुम ये अच्छी तरह से जानते थे कि तुम्हारे पिताजी हमारे रिश्ते के खिलाफ थे, शैलजा गुस्से से बोली।
मैं उस समय गुस्से में था, समीर बोला।
इंसान गुस्से में होता है तो कुछ बोलता है कुछ कहता सुनता है लेकिन तुम तो रिश्ता तोड़कर ही चले गए, शैलजा बोली।
लेकिन अब मैं वापस आ गया हूँ और तुम्हें फिर से अपनाने को तैयार हूँ, समीर बोला।
लेकिन अब बहुत देर हो चुकी है समीर ! शैलजा बोली।
अभी भी कुछ भी देर नहीं हुई है, हम पहले की तरह फिर से रह सकते हैं, समीर बोला।
लेकिन मैं तुम्हारे संग अब नहीं रह सकती, शैलजा बोली।
लेकिन क्यों? ऐसा क्या हो गया? समीर चीखा।
क्योंकि, तुम्हारे जाने के बाद मैंने दूसरी शादी कर ली थी और वो रहे मेरे पति, उन्हीं को लेने मैं एयरपोर्ट आई थी और इतना कहकर शैलजा, समीर के सामने ही अपने पति के साथ चली गई।
और समीर सोचता ही रह गया कि जिन्दगी के सफ़र में चलते चलते ये कहाँ आ गए हम?
