ये कैसा प्यार- भाग ३

ये कैसा प्यार- भाग ३

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"हाँ यार सोनू ? इसे पहले कभी न तो तेरे साथ देखा न मिले..... "

"अरे यार...अंजलि मेरी इंटर से फ्रैंड है ये मेरी बहुत अच्छी दोस्त है और केवल यही लड़की है जो मेरी तुम्हारे बाद एक अच्छी दोस्त है.....पता है इसने खुद मुझे दोस्ती के लिऐ ऑफर किया था..और मैने रिजेक्ट कर दिया था लेकिन इसकी जिद के आगे मुझे झुकना पड़ा और दोस्ती हो ही गयी....अब लगता है मैं अगर इससे दोस्ती न करता तो गलती करता...( रुककर...) .....अंजलि मॉडर्न है..फ्रैंक है..पर दिल की बहुत बड़ी है...बहुत हेल्पफुल है "

( .....संजय तुरन्त बोल पड़ता है....)

"ओ माई गॉड ....मुझे तो कुछ गड़बड़ लगे है "

"प्लीज संजय यार अब इसमें क्या गड़बड़ है ? ...हाँ... "

"... अरे वाह...कितनी आसानी से बोल गयी ...आई लव यू ..आई लाइक यू ओये लव यू ...मतलब शी लव यू यार ! "

" स्टॉप इट संजय.....! अंजलि मेरी एक अच्छी दोस्त है इससे ज्यादा कुछ नही और जहाँ तक मैं उसे जानता हूँ उसके दिल में भी ऐसा कुछ नही होगा जैसा तू सोच रहा है...( सोनू संजय से नाराजगी जाहिर करता है) "

"....( राज का चेहरा भांपकर)... ओके सॉरी यार..पर मेरी भी दोस्ती करा दे उससे यार ! "

( तभी राज बोल पड़ता है ...........)

" अरे संजू तू क्यों उछल रहा है....वो तो मुझसे दोस्ती करेगी.. "

"...अरे ज्यादा लड़ने की जरूरत नही है...( विजय दोनों को समझाता है) ... वो सोनू की फ्रैंड है तो हमारी भी फ्रैंड...इण्टरोडक्शन तो हो ही गयी है...धीरे धीरे पक्की दोस्ती हो जायेगी "

"...हाँ विजय तू ठीक कह रहा है ...ये तो लड़कियों को देखकर पगले हो जाते हैं...हो जायेगी भई दोस्ती ! ( फार्म देखकर) खैर छोड़ो जिसका फार्म मेरे पास दे गयी है उसे तो देखूँ...( तभी संजय उससे फार्म छीन लेता है) .... "

"..लड़की का फॉर्म है ...यार देखूँ तो क्या नाम है...क्या पता है फोन न. भी है या नही,...उसकी फ्रैंड है पहले से नॉलेज रख लूँ ये भी क्यूट गर्ल होगी .. "

"... यार संजू तेरा और कोई काम नही है क्या...बस गर्ल्स के नाम पते के अलावा कुछ सूझता है तुझे..जब देखो लवरशिप या फ्रैंडशिप की बातें...... "

( संजय विजय की बात सुनकर थोड़ा मुस्कुराता है फिर फॉर्म पढ़ता है)

".....हूँ..sssss....नाम तो है निकिता..व्हाऊssssssss...व्हॉट ए ब्यूटीफुल नेम यार ! ....( पढ़ता है..) ...फादर्स नेम...अँ...हँ...हाँ....क्या नाम है यार...वकील है....एड्रेस...ह्रषिकेश में ही....फोन न. भी होगा...( पन्ने पलटाता है).. कहाँ होगा....? ......ये रहा...... "

( इतने में सोनू फॉरम छीन लेता है...)

"..अबे क्या कर रहा है...जिसे देखा भी नी और उसका फोन न. ले रहा है..? ...पागल है ! ... "

"अरे कार्टून ! जिससे मिला भी नही...उसे फोन करेगा..बाप वकील है बेटा...कानून जानता है अन्दर करवा देगा तेरे को.... ! "

"अरे हाँ यार...ये तो मैंने सोचा ही नी ( सर पर मारता है खुद के) .. पर यार..ये जो आई थी उसके बारे में बता न....पर्सनेल्टी से तो रईस खानदान की लग रही थी..और बातचीत का ढंग भी ऐसा ही था "

(क्रमश:)


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