यादें जो सिरहन पैदा करे
यादें जो सिरहन पैदा करे
अनजान सफ़र सच में बहुत रोमांचक होता है। पूर्वा को नई नई जगह घूमना बहुत पसन्द है तो इस बार उसने कहाँ जाना है कोई प्लान नहीं किया कि कहाँ से कहाँ का सफ़र है। इस बार पूर्वा एक अनजान सफ़र की अनजाने डगर की तलाश में निकल पड़ी मन में रोमांच लिये हुऐ सबकुछ अनप्लानड।
जब भी जहाँ भी कोई साधन जैसा भी मिलेगा चल देगी। पूर्वा को ना एडवैचरस लाईफ़ इतनी पसंद है जैसे एडवैचर अगर उसकी लाईफ़ में ना हो तो वो सोचती वो ज़िन्दा कैसे रहेगी।
घर वाले अकसर रोक-टोक करते कि कम से कम हमें बता तो दो कहाँ जा रही हो कब वापिस आना है।
इक बजांरापन है उसकी फ़ितरत में यहाँ -वहाँ जाने कहाँ -२ घूम चुकी है अब तक।शायद जब से पैदा हुई तब से ही क्यूँकि उसके पापा भी यायावर थे। तो ये लत उसे भी लग गई जब वो अपनी एडवैचरस लाईफ़ की कहानियाँ सुनाते।
वो अकसर कहते “ जिन्दगी ज़िन्दादिली का नाम है मुर्दा दिल क्या ख़ाक जिया करते है “
बस अपनी ज़िन्दादिली उन्होंने विरासत में पूर्वा को भी दे दी। लड़कियों जैसी बिल्कुल नहीं है ये पूर्वा। ना डरने वाली किसी से। बिल्कुल अपने पापा जैसी
दिल्ली के स्टेशन से उसने बस पकड़ी कोनसी थी नहीं पता। बस उसी मे बैठ गई। पूछा भी नहीं।जब कन्डक्टर टिकट के पूछने लगा तो पूर्वा ने पूछा लास्ट स्टोपेज जो होगा वहाँ की टिकट दे दो। कन्डक्टर ने कहा कि लास्ट स्टोपेज एक छोटा सा गाँव है और रात हो जायेगी। पूर्वा ने कहा कि ठीक है। बस जब गाँव पहुँची तो रात हो चुकी थी। गाँव मे कहीं आस-पास कोई भी दिखाई नहीं दे रहा था। इक्का-दुक्का जगह पर रोशनी दिखाई दे रही थी, सुनसान सा वातावरण लग रहा था।पूर्वा को अजीब लग रहा था, वो रहने के लिये कोई होटल ढूँढने लगी। कुछ दूर चलने पर बस एक घर में रोशनी हो रही थी तो वहाँ नोक किया तो कुछ देर बाद एक औरत ने दरवाज़ा खोला। पूर्वा ने उनसे रहने के लिये होटल पूछा कि कहाँ है। तो उस औरत ने बताया कि यहाँ आस-पास कोई होटल नहीं है, छोटा सा गाँव है।रहने के लिये किसी के घर में ही जगह मिल सकती है। अब तो सारा गाँव सो चुका है तुम्हें कहीं और जगह नहीं मिलेगी। तुम आज यहीं रूक जाओ बेटी।
पूर्वा को बहुत अजीब सा लग रहा था जब वो औरत बोल रही थी लेकिन अब रात को और कोई जगह भी नहीं थी तो वो वहीं रूक गई। अन्दर आते ही सिहरन सी महसूस हुई। उस औरत ने पूर्वा को कमरा खोल कर दिया और खाना पूछा तो, पूर्वा के हाँ करने पर कुछ देर में खाना भी ले आई पूर्वा को हैरानी हुई कि इतनी जल्दी खाना भी तैयार हो गया।कमरे में टगीं चीज़ें भी रहस्यमयी लग रही थी खोपड़ी की तस्वीर टँगी हुई थी दिवार पर। अचानक उसने सुना कि औरत कुछ गा रही है अजीब सी भाषा में, पूर्वा को कुछ अनहोनी सी महसूस होने लगी तो वो अपना सामान उठा बाहर की और भागी तो वो औरत उसके पीछे भागी। भागते हुए ठोकर लगने पर पूर्वा का सन्तुलन बिगड़ा और गिरते हुऐ किसी चीज़ से सर टकराया और चेतना खो बैठी।
सुबह की किरणें जब चेहरे पर पड़ी तो चेतना आई तो देखा कि कुछ लोग आस-पास इकठ्ठे हो गये थे। उठने पर उसने देखा की वो सड़क के किनारे बेहोश पड़ी थी। गाँव वालो से पूरी बात होने पर पता चला कि ऐसी तो कोई औरत इस गाँव में है ही नहीं। अब पूर्वा समझ नहीं पा रही थी कि फिर कल रात जो उसे मिली वो कौन थी।
आज भी उस अनजान सफ़र की याद सिहरन पैदा कर देती है पूर्वा को।