व्यस्त (समय)
व्यस्त (समय)
"रोज़ सुबह-सुबह आ धमकते हैं।अब इनके लिए भी चाय बनाओ।",कल्याणी भुनभुनाते हुए बोली ।
"श्रीमतीजी,यह तो सोचो आज के इस व्यस्त युग में कोई भलामानस रोज़ सुबह हमारे हालचाल पूछने आ जाता है।अब तो मिस्टर वर्मा हमारी सुबह का हिस्सा बन गए हैं । ",पति दिनेश ने कहा ।
"क्या मतलब ?",कल्याणी ने चाय छानते हुए कहा ।
"आज के युग में सबसे बड़ा दान है समय दान।तुम्हें पता है विदेशों में लोग अपने मन की बात सुनाने के लिए किसी को ढूंढते हैं और सुनने वाले को पैसे तक देते हैं।इसलिए गुस्सा थूक दो।",दिनेश ने रसोई से चाय की ट्रे बाहर ले जाते हुए कहा।
