व्यंग्यात्मक हैडलाइन्स
व्यंग्यात्मक हैडलाइन्स
मेरे शहर में अंधड़ जो हैं वो अक्सर आते रहते हैं, उन्हीं की वजह से, चंद अख़बार के टुकड़े मेरे बालकनी में आ गिरे, उनकी हेडलाइन्स को जैसे जैसे मैं पढ़ता गया, वो स्वतः ही एक व्यंग्य में परिवर्तित हो गयीं:'कुत्ते भी क्षेत्र बाँटकर रहते हैं।''फलां राज्य में चुनावों की घोषणा, टिकिट और क्षेत्र को लेकर कवायद शुरू।''10 महीने की मासूम से ज्यादती।''आदमखोर भेड़िये को देखते ही गोली मारने के आदेश।''नेता जी ने कहा - गरीबी कम करेंगे।''ब्लैकमनी में फलां प्रतिशत की वृद्धि।''चीन ने भारत को पीछे हटने को कहा।''बस में सीट को लेकर झगड़ा, 2 घायल।''पाकिस्तान ने भारत को दहशतगर्द देश बताया।''पाकिस्तानी गधे सीमा पार आये, सेना ने डंडों से भगाया।''अभिनेत्री ने किया पत्तों के कपड़ों से रेम्पवॉक।''गौशाला में गायों का मृत्युदर बढ़ा।''खुले में थूकने से कोरोना के फैलने का खतरा बढ़ा।''वैज्ञानिकों ने लीकेज बन्द करनेवाले वाॅटरप्रूफ गोंद का अविष्कार किया।''सब्जियों के दाम और बढ़े।''उचित दाम न मिलने पर किसान ने की खुदकुशी।''दो गुटों के झगड़े ने लिया धार्मिक रंग, 2 की मौत, 10 घायल।''मौसमी बुखार की वापसी।'और अंततः'मिशन मंगल, अमेरिका को हताशा।''भारत ने मंगलयान किया सफलतापूर्वक प्रक्षेपित।'