Sajida Akram

Inspirational

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Sajida Akram

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"वर्तमान"

"वर्तमान"

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हम सब घर ने घर में ही 15अगस्त् का उत्सव मनाया ।छोटी- छोटी नातिनों का आनलाइन क्लास चल रही थी ।पहली बार घर में इतना जोश था । हमारे बच्चों ने तो परेड ग्राउंड पर ही "झंडा वन्दन " होते देखा था, हमारा बचपन भी आज से पचास साल पहले भी हमनें भी "प्रभात फेरी" निकलते थे देश भक्ति के नारे लगाते थे ।परेड ग्राउंड पर पी. टी. होती थी ।दूसरे दिन लड्डू बंटते थे ऐसा हो था "स्वतंत्रता दिवस, या गणतंत्र दिवस"।

पहले तो सबसे छोटी नातिन को एक दिन पहले मेरी बेटी ने देश भक्ति गाने पर डांस के स्टेप करवा कर विडियो बना कर स्कूल वालों को भेजा फिर स्कूल से मेल आया बच्चों को 14अगस्त् को ऑनलाइन ही फंक्शन रखा है। आप तिरंगा कलर्स में ड्रेस पहन दें।

सुबह दोनों को अलग- अलग फोन और लेपटॉप दे कर अपनी- अपनी क्लास ज्वाइन करवाई छोटी बेटी के साथ माँ- बाबा दोनों बैठे और हम नाना- नानी दर्शक थे हमारी इतनी लाइफ में पहली बार अपने देश का झंडा वन्दन और फिर राष्ट्रीय गान"जन गण मन "सबने खड़े होकर घर में गाया....!

रात में हम नाना- नानी दोनों को देशभक्ति की कहानी सुनाते हैं। एक दिन छोटी नातिन" कहती है "नाना आपको पता हम ने कहा क्या? "

हमें टीचर ने बताया था ।हमारे राष्ट्रपिता कौन है? हमनें कहा कौन है तो " महात्मा गाँधी जी" है।

हमनें ख़ूब ताली बजाई कहा और क्या बताया टीचर्स ने कहती है। हम जब स्कूल जाते थे ना तो उन्होनें हमें बताया था कि हमारे "राष्ट्र पिता गाँधी जी की 150 वीं जन्मदिन था।

एक दिन बड़ी वाली नातिन "माहेनो" का सवाल था "क्या अंग्रेज़ हमारे देश से जाने से पहले" जलियांवाला बाग"में बहुत लोगों को गोलियों से भून दिया था ।" "हाँ बेटी तुमने कहाँ पढ़ा है, तो कहती है हिस्ट्री में पढ़ा है ।नाना एक बात बताओ "गांधी जी" का कहते हैं कि अहिंसा से उन्होंने ने आज़ादी दिलाई कैसे?

फिर हमनें वो सब बताया कैसे गांधी जी ने "असहयोग आंदोलन, नमक सत्याग्रह, बहुत तेज़ी से पूरे भारत में आंदोलन आग की तरह फैले और साथ ही हमारे सेनानी चन्द्रशेखर आज़ाद, "भगतसिंह, " मंगल पांडे जी "बिस्मिल, " गीता भाभी" , गोखले जी, "बालगंगाधर तिलकजी, पंडित मोतीलाल नेहरू, पंडित जवाहरलाल नेहरू जी, " सुभाषचंद्र बोस जी सारोजनी नायडू, "लक्ष्मीबाई सब ही देशवासियों ने अपनी जान-माल से बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया था।

आजकल के बच्चे को स्वतंत्रता संग्राम सेनानी के नाम भी हम ही सिखाएंगे ।हम सबने एक दिन "रंग दे बसंती" मूवी देखी उसकी कहानी को हर जगह समझाते गए कैसे इन स्वतंत्रता सेनानी ने अपनी जान की क़ुर्बानी दी हंसते- हंसते फांसी पर चढ़ गए। "अंग्रेज़ों को भारत छोड़ो" आंदोलन के बाद तो अंग्रेजों को मजबूर होना पड़ा हमारा देश छोड़ कर जाने के लिए...!

मगर जाते -जाते वो "फूट डालो" "राज" करो की घटिया सोच छोड़ गए जो आज भी हम "हिन्दू- मुस्लिम" को धर्म के नाम पर लड़ते रहतें है।


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