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Meena Singh "Meen"

Comedy Romance Inspirational

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Meena Singh "Meen"

Comedy Romance Inspirational

वो तुम हो (पार्ट-17)

वो तुम हो (पार्ट-17)

19 mins
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प्यारे रीडर्स,

अभी तक आपने पढ़ा कि एक तरफ मयंक अंजलि और आयुष के रिश्ते को समझ नहीं पा रहा और उसकी ये उलझन लगातार बढ़ती ही जा रही है। अंजलि मयंक के इस हाल से बेखबर है लेकिन आयुष मयंक की हालत से वाकिफ है और वो जान बूझकर ऐसी हरकतें कर रहा है जिससे मयंक की मोहब्बत की उलझन एक पहेली बनी हुई है। कॉलेज की तरफ से सभी पिकनिक पर जाते हुए बस में अंताक्षरी खेलते हुए काफी मस्ती कर रहे हैं। मयंक ने जब बॉयज की बारी पर गाना शुरू किया तो उसके शब्दों ने अंजलि के दिल पर दस्तक दी थी। अंजलि मयंक को गाते हुए एकटक देख रही थी और कोई और भी था जो अंजलि को देख रहा था और वो था अपना शरारती आयुष जो कि अंजलि के दिल और उसके चेहरे को पढ़ने की कोशिश कर रहा था। वो जानना चाहता था कि आखिर अंजलि की ज़िन्दगी में मयंक की क्या जगह है-सिर्फ दोस्ती या फिर प्यार????? आइये अब आगे पढ़ते हैं:-

गाना गाते हुए जब मयंक ने अंजलि को अपनी तरफ देखते पाया तो मुस्कुरा उठा था। अंजलि उसे मुस्कुराते देख खुद भी मुस्कुराई और बस की खिड़की से बाहर देखने लगी थी। इधर आयुष ने कहा वाह मयंक तू तो भाई पक्का सिंगर है। क्या आवाज है तेरी यार, मैं तो तेरा फैन हो गया यार। मयंक आयुष की बात सुन मुस्कुराया लेकिन अगले ही पल उसके दिमाग में आयुष की शादी वाली बात याद आ गयी और वो दूसरी तरफ देखने लगा। तभी शुभम चिल्लाया चलो गर्ल्स अब आपकी बारी, आपको अब गाना है “म” से..............

मेरा दिल भी कितना पागल है,

ये प्यार तो तुमसे करता है,

पर सामने जब तुम आते हो,

कुछ भी कहने से डरता है,

ओ साजन..............साजन..........ओ मेरे साजन........

ये गाना गर्ल्स टीम से रिया ने गाया था और उसकी आवाज सुनकर तो सब मंत्रमुग्ध हो गए थे। जी हाँ अपनी रिया की आवाज बहुत ही सुरीली थी लेकिन ये बात उसके दोस्तों को आज ही पता लगी थी। जैसे ही रिया ने गाना बंद किया सब एक-एक करके उसे कह रहे थे वाह रिया तुम्हारी आवाज तो बहुत सुंदर है। तभी शुभम बोल उठा ओह्ह....तो ये राज़ है। तभी रिया इतनी चुप रहती है ताकि कोई इसकी सुरीली आवाज ना सुन ले। लेकिन रिया मजा ही आ गया और मैं तो फ़िदा हो गया तुम पर...............तभी शुभम को नितिन ने कोहनी मारी तो उसने हडबडाते हुए कहा मेरा मतलब रिया तुम्हारी आवाज पर मैं तो फ़िदा हो गया। नितिन ने अब रिया को देखा जो बहुत खुश नज़र आ रही थी। रिया की ख़ुशी उसके चेहरे को और भी रोशन कर रही थी। लेकिन रिया को आज से पहले इतना खुश नितिन ने कभी नहीं देखा था। अंजलि ने कहा रिया तुम्हें तो सिंगर होना चाहिए था यार। अंजलि के इस सवाल से रिया के चेहरे की खुश जैसे गायब हो गयी थी।


तभी रागिनी कहने लगी अब बॉयज की बारी है, और आप सभी को गाना है “न” से..........

इस बार राघव ने गाया और उसके साथ सभी गाने लगे, गाना ही इतना प्यारा था, चलिए हम भी गाते हैं:-

नीले-नीले अम्बर पर, चाँद जब आये,

प्यार बरसाए, हमको तरसाए,

ऐसा कोई साथी हो, ऐसा कोई प्रेमी हो,

प्यार दिल की बुझा जाये........

नीले-नीले अम्बर पर.................

छम-छम करता सावन बूंदों के बाण चलाये,

सतरंगी बारसातों में जब तन-मन भीगा जाए,

प्यार में नहाने को, डूब ही जाने को,

दिल मेरा तड़पाए, ख्वाब जगा जाए,

ऐसा कोई साथी हो, ऐसा कोई प्रेमी हो,

प्यास दिल की बुझा जाए।

नीले-नीले अम्बर पर चाँद जब आये,

प्यार बरसाए. हमको तरसाए।

इस बार “ए” से गाना था और आयुष ने गाना शुरू किया.........................

ऐ मेरे हमसफ़र, इक ज़रा इंतजार,

सुन सदाएं दे रही है मंजिल प्यार की।

अब है जुदाई का मौसम दो पल का मेहमान,

कैसे ना जाएगा अँधेरा, क्यूँ ना थमेगा तूफ़ान,

कैसी न मिलेगी मंजिल प्यार की....................

आयुष गा रहा था दिव्या के लिए लेकिन अपने हीरो मयंक को तो लग रहा था कि वो अंजलि के लिए गा रहा था। वैसे भी अंजलि और दिव्या एक साथ बैठे हुए थे और आयुष उनकी तरफ देखते हुए गा रहा था। कमाल की बात ये थी कि आयुष का गाना सुनकर अंजलि और दिव्या दोनों ही मुस्कुरा रहे थे। बेचारा मयंक कैसे समझ पाता कि गाना दिव्या के लिए है या फिर अंजलि के लिए?? लेकिन आप सब तो समझ गए होंगे मेरे इंटेलीजेंट रीडर्स....??? जी हाँ आयुष तो अपनी दिव्या के लिए गा रहा था। खैर अभी मयंक का दिमाग खराब था लेकिन बाकी सबको तो भूख लग चुकी थी। बस एक ढाबे का सामने आकर रुक गई थी। एक-एक कर के सभी बस से नीचे उतर गए थे लेकिन मयंक बस में ही बैठा हुआ था। तभी किसी की आवाज सुनकर उसने अपनी नज़रें उठाई तो देखा सामने अंजलि खड़ी थी। तुम्हें भूख नहीं लगी क्या, अंजलि ने अपनी कमर पर हाथ रखते हुए कहा? मयंक ने कहा नहीं मुझे भूख नहीं है। लेकिन क्यों नहीं लगी? अंजलि ने थोड़ा गुस्से में पूछा तो मयंक ने कहा बस मेरा मन नहीं। तुम जाकर खा लो। अंजलि ने कहा ओह्ह लगता है तुम्हारा किसी बात पर मूड ऑफ है? मयंक ने एक नज़र अंजलि की तरफ देखा और कुछ कहते-कहते रुक गया।

अंजलि ने मयंक के पास बैठते हुए कहा क्या बात है बंदर सी शक्ल क्यों बनाई हुई है ? मयंक ने सुना तो कहा मेरी शक्ल ही ऐसी है, बनाई नहीं है मैंने। मयंक को इस तरह गुस्से में देख अंजलि ने कहा बात क्या है, बताओ भी यार? मयंक ने कहा कुछ नहीं है तुम बेकार परेशान हो रही हो। अंजलि ने कहा कोई बात नहीं है, पक्का? हम्म, मयंक ने धीरे से जवाब दिया। अंजलि ने मयंक का हाथ पकड़ते हुए कहा तो जल्दी नीचे चलो मुझे सच में भूख लगी है। अंजलि ने मयंक का हाथ पकड़ा और मयंक के धड़कनों ने रफ़्तार पकड़ी थी। वो कुछ नहीं कह पाया और अंजलि के साथ बस से उतरकर नीचे पहुँच गया। नितिन ने दूर से ही देखा तो स्माइल करते हुए शुभम से कहने लगा वो देख अपना हीरो कैसे अंजलि के पीछे आ रहा है? शुभम ने देखा तो कहा अबे वो आ नहीं रहा, भाभी उसे लेकर आ रही हैं। क्या मतलब, नितिन ने चौंक कर कहा? शुभम ने कहा अंजलि ने मयंक का हाथ पकड़ा हुआ है। इधर आयुष जानता था कि अंजलि मयंक को लेने गयी है और इसीलिए वो बड़ी बेसब्री से उनके आने का इंतजार कर रहा था। जैसे ही आयुष ने देखा कि वो दोनों आ रहे हैं उसने दिव्या को कुछ इशारा किया और दोनों जोर-जोर से हँसने लगे थे। अंजलि आयुष के पास जाकर रुकी तो वो दोनों चुप हो गए। मयंक ने देखा लेकिन उसने इगनोर किया। आयुष ने कहा अरे अंजलि तुमने इतनी देर लगा दी, चलो ना कुछ खाते हैं बहुत भूख लगी है, कब से तुम्हारा इंतजार कर रहा हूँ यार। अंजलि ने आयुष को इस तरह कहते सुना तो उसे थोड़ा अजीब लगा लेकिन अगले ही पल उसने आयुष से कहा हाँ तो कुछ लेकर आओ खाने के लिए, यहाँ खड़े क्यों हो? दिव्या और आयुष एक-दूसरे की तरफ देख मुस्कुराए।

राघव आयुष को ही नोटिस कर रहा था क्योंकि प्रिंसिपल की बेटी सिर्फ आयुष से ही बात कर रही थी। राघव मन ही मन सोचने लगा कि कुछ बात तो जरुर है, ये आयुष और दिव्या कुछ छिपा रहे हैं, लेकिन क्या??? राघव अभी ये सोच ही रहा था कि तभी रागिनी वहाँ पहुँच गयी। उसने देखा राघव दिव्या को बड़े ही ध्यान से देख रहा था। रागिनी को ये बिलकुल अच्छा नहीं लगा और उसने गुस्से में कहा राघव तुम ये क्या कर रहे हो? रागिनी की बात पर ज्यादा ध्यान ना देते हुए राघव ने बिना उसे देखे ही कहा क्या हुआ??...............राघव अभी भी उधर ही देख रहा था। रागिनी को तो अब और भी तेज गुस्सा आ चुका था और उसने राघव के हाथ पर जोर से चिकोटी काट ली । आउछ.........राघव ने मुँह बनाते हुए रागिनी की तरफ देखा जो कि खा जाने वाली नज़रों से उसे ही देख रही थी। राघव ने अपनी भौंहें चढ़ाते हुए कहा क्या हुआ तुम्हें इतने गुस्से में क्यों लग रही हो? रागिनी ने कहा तुम्हें उससे क्या तुम तो मजे से ताड़ो अपने प्रिंसिपल की बेटी को? तुम पागल हो क्या राघव ने चिढ़ते हुए कहा तो रागिनी को और भी गुस्सा आ गया और वो राघव के पास से चली गयी। राघव मन ही मन सोचने लगा इसे अचानक से हुआ क्या है, अभी थोड़ी देर पहले तो अच्छी भली थी? उधर रागिनी गुस्से में बस की तरफ जा रही थी तो उसे शुभम ने आवाज दी लेकिन रागिनी बिना रुके ही वहाँ से चली गयी। राघव अब भी वहीं खड़ा दिव्या और आयुष को नोटिस कर रहा था तभी शुभम वहाँ आया और कहने लगा भाई रागिनी को क्या हुआ बड़े गुस्से में थी। अरे कुछ नहीं यार कह रही थी कि तुम ताड़ो प्रिंसिपल की बेटी को..............................इतना कहना था कि राघव के दिमाग की बत्ती जली और वो बस की तरफ भागा।

शुभम ने कहा ये भी भाग गया, ये हो क्या रहा है? कोई कुछ बताने को तैयार नहीं है? अब शुभम भी बस की तरफ चल दिया। राघव जैसे ही बस के अंदर गया तो देखा रागिनी बस में अकेली बैठी हुई थी। राघव को अब तक समझ आ चुका था कि रागिनी उस वक़्त गुस्से में क्यों थी? लेकिन वो ये भी जानता था कि रागिनी को ग़लतफहमी हुई थी। वो जाकर रागिनी के सामने वाली सीट पर बैठ गया। रागिनी ने एक बार उसकी तरफ देखा तो राघव ने कहा तुम सच में पागल हो, इतनी से बात पर यहाँ बैठकर रो रही हो। हद है यार कम से कम मुझसे पूछ तो लेती? क्या पूछ लेती रागिनी ने गुस्से में कहा? राघव ने रागिनी का हाथ पकड़ना चाहा तो उसने अपना हाथ गुस्से में खींच लिया। ओहो इतना गुस्सा..............राघव ने मुस्कुराते हुए कहा। बाय गॉड रागिनी गुस्से में तो तुम और भी खूबसूरत लग रही हो। रागिनी अब भी रो रही थी। अच्छा एक बार मेरी बात सुन लो फिर तुम जो कहोगी मैं वो करूँगा..प्लीज! रागिनी अब थोड़ा चुप हुई और उसने राघव को अपने साथ बैठने की जगह दी। राघव रागिनी के साथ बैठ गया। रागिनी बस की खिड़की से बाहर की तरफ देखने लगी। राघव ने कहा यार ऐसे कैसे बात करूँगा? तुम बोलो मैं सुन रही हूँ, रागिनी ने बिना उसकी तरफ देखे ही कहा। राघव ने कहा मुझे लगता है आयुष और दिव्या रिलेशनशिप में है। उसकी बात सुनकर रागिनी उसकी तरफ देखने लगी ओह्ह तो तुम इसीलिए दिव्या को घूर रहे थे?

राघव मुस्कुराया और कहने लगा यार तुम कितना जेलस हो रही हो, लेकिन सच कहूँ मुझे बड़ा मजा आ रहा है तुम्हें ऐसे देख कर। रागिनी ने कहा मजा आ रहा है, तुम्हारी तो मैं.........रुको तुम जरा अभी.......रागिनी जैसे ही राघव को मारने को हुई, राघव ने उसके दोनों हाथ पकड़ कर उसे अपने करीब खींचते हुए कहा “आई लव यू”...............ये सुनकर रागिनी का गुस्सा एकदम शांत हो गया। लेकिन उसने कहा झूठे हो तुम, कोई लव-शब नहीं करते तुम मुझसे वरना क्या मेरे होते हुए उस दिव्या को घूर-घूर कर देखते? मैं उसे नहीं घूर रहा था, तुम्हें ग़लतफहमी हुई है, राघव ने फिर से कहा। तभी उन्हें किसी के हँसने की आवाज सुनाई दी। दोनों ने पलट कर देखा तो शुभम बस के गेट पर खड़ा हँस रहा था।

राघव ने कहा शुभम तू.........कब आया? तभी जब तू रागिनी से अपने प्यार का इजहार कर रहा था। ये सुनकर राघव थोड़ा झेंप गया और रागिनी से कहने लगा देखा तुम्हारे गुस्से की वजह से ये क्या हुआ? अब ये शुभम जाकर सबको बताएगा? शुभम अब हँसते-हँसते उनके पास आ गया। अरे मैं किसी को कुछ नहीं बताऊंगा लेकिन पहले तुम दोनों बताओ कि बात क्या है? रागिनी ने अपनी बात बताई तो शुभम भी राघव को घूरने लगा। राघव तू ऐसा कैसे कर सकता है रागिनी के साथ, तू मेरी भाभी को धोखा दे रहा है। तू इतना कमीना निकलेगा ये तो मैंने कभी सोचा भी नहीं था? शुभम एक साँस में ही सब कुछ बोल गया और फिर हँसते हुए कहने लगा यार तुझे किसी को घूरना ही था तो पहले रागिनी से परमिशन तो ले लेता। राघव बेचारा अवाक् सा शुभम को देख रहा था। रागिनी भी शुभम को हैरानी से सुन रही थी। शुभम ने कहा अरे भाई अब क्या हुआ चल सॉरी बोल रागिनी से वरना तेरी-मेरी दोस्ती आज से ख़तम। राघव ने बिना देरी किये कहा “आई एम् सॉरी रागिनी”। शुभम ने देखा रागिनी का गुस्सा अब बिलकुल ठंडा हो चुका था। लेकिन दूसरी तरफ राघव शुभम को घूर-घूर कर देख रहा था। शुभम ने कहा रागिनी अब मेरी बात ध्यान से सुनो, क्योंकि बेचारे राघव की बात तो तुम सुनोगी नहीं। रागिनी ने कहा क्या मतलब? शुभम ने कहा ये दिव्या को नहीं घूर रहा था। मतलब....रागिनी ने कहा मैंने खुद देखा है राघव को ऐसा करते हुए। शुभम ने राघव की तरफ देखा और कहा भाई तू ना पिटा करेगा भाभी से वरना जरा बोलना सीख ले। अपनी बात समझाना ही नहीं आता तुझे? राघव चुपचाप सिर झुका कर बैठ गया। रागिनी हैरान सी कभी राघव तो कभी शुभम को देख रही थी।

शुभम ने कहा रागिनी ध्यान से सुनो, दरअसल दिव्या और आयुष रिलेशनशिप में हैं और जल्दी ही शादी भी करने वाले हैं। क्या सच में राघव ने खुश होते हुए कहा तो रागिनी उसे फिर से घूरने लगी थी। रागिनी ने कहा अच्छा..............लेकिन??? शुभम ने बीच में ही रागिनी को टोकते हुए कहा लेकिन हम सब ये सोच रहे थे कि आयुष और अंजलि शायद एक-दूसरे को पसंद करते हैं। रागिनी तुम्हें पता नहीं होगा लेकिन मयंक अंजलि को बहुत पसंद करता है। बल्कि.... सिर्फ पसंद कहना गलत होगा क्योंकि मयंक का मानना है कि वो अंजलि का इंतजार जन्मों से कर रहा है। वो कहता हैं अंजलि और उसकी मोहब्बत रूहानी मोहब्बत है। रागिनी ये सब बड़े ध्यान से सुन रही थी। शुभम आगे कहता रहा मयंक शायद अब तक अंजलि से अपने दिल की बात कह भी देता लेकिन ये आयुष जब से मिला है इसने मयंक को भी कंफ्यूज किया हुआ है। मयंक हर समय ये सोचता रहता है कि कहीं अंजलि भी तो आयुष से प्यार नहीं करती? बस यही सोचकर उसने आज तक अंजलि से अपने दिल की बात नहीं कही। लेकिन ये दिव्या ने आज ट्रिप पर आकर सारी पहेली सुलझा दी है। हम सब दोस्त मिलकर यही पता लगा रहे थे कि आखिर आयुष और दिव्या का क्या सीन है? बेचारा राघव तो तुम्हारे शक का शिकार हो गया लेकिन मैं सही इनफार्मेशन लाया हूँ। मैने अभी कुछ देर पहले दिव्या को किसी से फ़ोन पर कहते हुए सुना कि वो और आयुष जल्दी ही शादी करने वाले हैं। राघव और शुभम एक-दूसरे को हाय-फाइव देते हुए कहते हैं पहेली सोल्व। अब हम मयंक को कहेंगे कि वो अंजलि को जल्दी से जल्दी अपने दिल की बात बता दे।

उधर दूसरी तरफ आयुष और दिव्या जान-बूझकर अंजलि और मयंक के हाव-भाव पढ़ने की कोशिश में कुछ अजीब हरकतें कर रहे थे। जैसे की आयुष अंजलि के पास बैठकर उसे बीच-बीच में कभी कुछ खिला रहा था तो कभी हँसकर उसे बातें कर रहा था। दिव्या मयंक के नज़दीक बैठी उससे बातें कर रही थी जो की अंजलि को बिलकुल भी अच्छा नहीं लग रहा था। आयुष ने दिव्या को कुछ इशारा किया तो दिव्या ने मयंक को अपनी प्लेट में से राजमा-चावल चम्मच में लेते हुए मयंक की तरफ बढ़ा दिए और कहा ये ट्राई करो बहुत टेस्टी हैं। उसे ऐसा करते देख मयंक थोड़ा झेंप गया लेकिन अंजलि को गुस्सा आ गया। उसने आयुष को कोहनी मारते हुए दबी आवाज में कहा ये दिव्या को क्या हुआ है? इसे बोल दूर रहे उससे, थोड़ा डिस्टेंस मेन्टेन करे। आयुष ने अंजलि के कान में फुसफुसाते हुए कहा, ओहो तो हमारी प्रिंसेस को जलन हो रही है। तभी दिव्या ने कहा अरे मयंक तुम्हारे होठ के नीचे कुछ लगा है। रुको मैं हटा देती हूँ, कहकर दिव्या ने मयंक के होठों के पास हाथ लगाया तो अंजलि के हाथ से तो चम्मच ही छूट कर गिर गया। दिव्या ने अनजान बनते हुए कहा क्या हुआ अंजलि तुम ठीक तो हो? मेरा हो गया, तुम लोग खाना खाकर आ जाना, मैं बस में जा रही हूँ। अंजलि वहाँ से उठी और बस की तरफ चल दी। मयंक भी खड़ा हुआ और जाने लगा तो आयुष ने उसका हाथ पकड़ कर रोक लिया। मयंक ने कहा आयुष शायद अंजलि को कुछ बुरा लगा है? हाँ, बुरा तो लगा है दिव्या ने कहा, क्योंकि मैंने तुम्हें हाथ लगा दिया और ये हक तो उसका है। मयंक को अब भी कुछ ढंग से समझ नहीं आया तो उसने कहा क्या मतलब??? कैसा हक ये क्या कह रही हो तुम?

आयुष और दिव्या एक-दूसरे की तरफ देख मुस्कुराये। आयुष ने कहा क्या तुम सच में बंदर हो? मयंक ने सुना तो हैरान होकर कहने लगा क्या मतलब है तुम्हारा???? अंजलि के बंदर हो ना तुम, जाओ उसे जाकर अपने दिल की बात कहो। प्यार करती है वो तुमसे इसलिए दिव्या का इस तरह से तुम्हें छूना अंजलि को अच्छा नहीं लगा और वो गुस्से में यहाँ से चली गयी। मयंक ने दिव्या की तरफ देखा तो दिव्या ने सहमती में अपनी पलकें झपकाई और कहने लगी माफ़ करना मयंक लेकिन मैंने तो ये आयुष के कहने पर किया है। मयंक ने कहा आयुष तुमने ऐसा करने को क्यों कहा? आयुष ने कहा ओके मयंक अब ध्यान से सुनो ये दिव्या है आपके कॉलेज के प्रिंसिपल, जो कि मेरे पापा के बेस्ट फ्रेंड भी हैं, की इकलौती बेटी और मेरी बचपन की फ्रेंड। हम एक-दूसरे से प्यार करते हैं और बहुत जल्दी शादी भी करने वाले हैं। मयंक ने सुना तो उसके चेहरे पर मुस्कुराहट तैर गयी थी। उसने कहा मतलब दिव्या तुम्हारी गर्लफ्रेंड है, अंजलि नहीं??? ओह्ह माय गॉड, मैं तो यही समझ रहा था कि तुम और अंजलि एक-दूसरे को पसंद.................आयुष ने उसे बीच में ही टोकते हुए कहा हम एक-दूसरे को पसंद भी करते हैं और प्यार भी...... लेकिन सिर्फ दोस्ती वाला। वो मेरी सबसे अच्छी दोस्त है, उसके साथ मैंने ख़ुशी और गम दोनों के बहुत से लम्हें जिए हैं लेकिन प्यार मैं दिव्या से करता हूँ और ये बात अंजलि भी जानती हैं। इन फैक्ट उसी ने तो हम दोनों को मिलवाया है वरना शायद हम एक-दूसरे को खो देते। मयंक सब कुछ मुस्कुराते हुए सुन रहा था।

तभी स्पोर्ट्स टीचर ने सभी को आवाज लगाते हुए कहा बस के निकलने का टाइम हो गया है सभी स्टूडेंट्स जल्दी से बस में आ जाओ। सभी बस की तरफ चल पड़े। आयुष ने कहा चलें मयंक देखो मैं तुम्हें ये बता चुका हूँ कि अंजलि भी तुम्हें चाहती है तो अब तुम इस ट्रिप पर मौका देख कर अपने दिल की बात उससे कह देना। मयंक हँसते हुए आयुष के गले लग गया और कहने लगा थैंक यू यार, मैं तो तुम्हें हमेशा गलत ही समझता रहा। आयुष ने कहा मेरी प्रिंसेस को तुम जैसे प्यार करने वाले की जरुरत है, जल्दी से उसे अपने प्यार का एहसास करवाओ ताकि वो फिर से अपनी ज़िन्दगी से प्यार कर सके और मुस्कुरा सके। मयंक ने कहा मैं भी तो यही चाहता हूँ कि वो हमेशा खुश और जिंदादिल रहे। मयंक, आयुष और दिव्या तीनों एक साथ बस की तरफ आ रहे थे और बस में खिड़की के पास बैठी अंजलि उन्हें लगातार देख रही थी।

शुभम और नितिन अब भी एक साथ बैठे थे। राघव और रागिनी एक साथ बैठे थे और रागिनी लगातार राघव से अपनी गलती की माफ़ी मांग रही थी। लेकिन अब राघव भाव खाते हुए कहने लगा मैं जल्दी से नहीं मानने वाला, मनाओ मुझे, फिर कुछ सोचूँगा। अंजलि को एहसास हुआ कि उसके पास कोई आकर बैठा है लेकिन उसे लगा दिव्या ही होगी। अंजलि चुपचाप बैठी रही तभी दिव्या की आवाज से उसने पलट कर देखा। उसने देखा दिव्या और आयुष तो उसके सामने वाली सीट पर बैठे हैं जहाँ कुछ देर पहले मयंक और आयुष बैठे थे। अंजलि ने अब पूरी बस में देखना शुरू किया और जब अपने पास बैठे मयंक को देखा तो उसके दिल की धडकनें जैसे थम-सी गयी थी। मयंक ने एक नज़र उसकी तरफ देखा और गाने लगा...................

दिल का आलम मैं क्या बताऊँ तुम्हें,

दिल का आलम मैं क्या बताऊँ तुम्हें,

इक चेहरे ने बहुत...........ह्म्म्म...........

इक चेहरे ने बहुत प्यार से देखा मुझे.......................

दिल का आलम मैं क्या बताऊँ तुम्हें।

वो मेरे सामने बैठी है मगर,

उससे कुछ बात ना हो पायी है,

मैं इशारा भी अगर करता हूँ,

इसमें हम दोनों की रुसवाई है............

इसमें हम दोनों की रुसवाई हैं......

दिल का आलम मैं क्या बताऊँ तुम्हें..................

शुभम चिल्लाया वाह भाई तूने तो समां बाँध दिया.......................गर्ल्स नाउ इट्स योर टर्न, आर यू रेडी??? यस दिव्या ने कहा और गाने लगी................

हो....हो....हो...हो....परदेसिया......ये सच है पिया...

परदेसिया......ये सच है पिया...

सब कहते हैं मैंने..................तुझको दिल दे दिया..

मैं कहती हूँ तूने मेरा दिल ले लिया....................

हो............हो...............हो..............हो....

आयुष भी दिव्या के साथ गाने लगा..............

लोगों को कहने दो, कहते ही रहने दो.............

सच-झूठ हम क्यों सब को बताएं,

मैं भी हूँ मस्ती में, तू भी है मस्ती में,

आ इस ख़ुशी में हम नाचे-गायें,

किसको पता.............क्या..किसने किया.............

सब कहते हैं तूने...............(आयुष दिव्या को आँख मारते हुए)

सब कहते हैं तूने...........मेरा दिल ले लिया। हो....हो...हो...हो...

अभिनव सर ने कहा अरे वाह तुम लोगों की अन्ताक्षरी फिर से शुरू हो गयी???? शुभम ने कहा जी सर आप भी शामिल हो जाएँ, क्योंकि पहले से ज्यादा मजा आ रहा है अब अन्ताक्षरी में,, कहते हुए शुभम ने मयंक को फ्लाइंग किस दिया। बदले में मयंक ने उसे पंच दिखाया। नाज़िया ने कहा इस बार “ह” से आया है ना मैं गाऊँगी...........प्लीज गाइये शुभम ने कहा.............नाज़िया ने खुश होकर गाना शुरू किया............

हम दोनों दो प्रेमी दुनिया छोड़ चले,

जीवन की हम सारी रस्में तोड़ चले,

जाना कहाँ है बता उस शहर का नाम,

ले चल जहाँ तेरी मर्जी ये तेरा है काम,

नाज़िया गाते हुए अचानक से रुक गयी और कहने लगी बस इतना ही आता है मुझे....................ओके तो बॉयज टीम अब “म” से गाएगी, अभिनव सर ने कहा............तो आयुष गाने लगा।

मेहँदी लगा के रखना डोली सजा के रखना,

लेने तुझे ओ गोरी आयेंगे तेरे सजना....

मेहँदी लगा के रखना डोली सजा के रखना,

लेने तुझे ओ गोरी आयेंगे तेरे सजना....

दिव्या इस गाने को सुनकर बहुत खुश हो रही थी। तभी आयुष ने चुपचाप उसका हाथ पकड़ लिया और धीरे-धीरे उसे कहने लगा जल्दी तैयारी कर लेना, मैं जल्दी ही आऊंगा। आयुष के आगे वाली सीट पर बैठा शुभम गाने लगा मैं सेहरा बाँध के आऊंगा मेरा वादा है..........................और उसके इस गाने पर बस में बैठे सभी स्टूडेंट्स जोर-जोर से हँसने लगे थे। अभिनव सर ने शुभम की टांग खींचते हुए कहा कोई लड़की भी देखी है सेहरा बाँध के जाएगा कहाँ बेटा????? शुभम अब दांत दिखाते हुए कहने लगा मैं तो अपने एक दोस्त के लिए गा रहा था, उसकी शादी होने वाली है।


इसी तरह हँसते मुस्कुराते और गाने गाते हुए आखिर बस जयपुर पहुँच चुकी थी। सभी काफी थक चुके थे। सभी बस से उतरकर होटल में जा रहे थे। मयंक ने देखा अंजलि खिड़की से अपना सिर टिकाए सो रही थी। उसे यूँ देखना मयंक के लिए बहुत सुकूनदेह पल था। लेकिन उसने अंजलि को आवाज दी और कहा अंजलि उठो हम होटल पहुँच गए हैं। अंजलि शायद गहरी नींद में थी। मयंक ने उसे फिर आवाज दी लेकिन जब वो नहीं उठी तो मयंक ने उसके करीब होते हुए उसके कान में कहा अंजलि उठो हम जयपुर पहुँच गए हैं। इस बार मयंक की आवाज से अंजलि की आँखें खुली तो उसने मयंक को खुद के इतने करीब देखा तो थोड़ा डर गयी। मयंक उससे दूर होता हुआ और कहने लगा सॉरी मेरा इरादा तुम्हें डराने का नहीं था। वो तुम उठ नहीं रही थी तो तुम्हें थोड़ा पास से आवाज दी बस। अंजलि उठकर खड़ी हुई और अपना पर्स लेकर बिना कुछ बोले ही वहाँ से जाने लगी तो मयंक ने उसका हाथ पकड़ लिया। ये क्या बदतमीजी है अंजलि ने पलट कर गुस्से में कहा, तो मयंक ने उसका हाथ छोड़ दिया और कहा सॉरी! मयंक बस से उतर कर चला गया और अंजलि उसे जाते हुए देख रही थी। अंजलि भी बस से नीचे उतर कर आई। उसने देखा मयंक, शुभम और नितिन के साथ खड़ा है। वो अभी कुछ सोच रही थी तभी रागिनी ने उसके करीब आकर कहा अंजलि यहाँ खड़ी होकर क्या सोच रही है? अंजलि ने कहा कुछ नहीं बस होटल ही देख रही थी। रागिनी ने कहा झूठी तू मयंक को देख रही थी ना? अंजलि ने कहा नहीं तो मैं उसे क्यों देखूँगी? क्योंकि तू उससे प्यार करती है, सिंपल.....कहकर रागिनी, रिया और नाज़िया के पास चली गयी। अंजलि अब भी वहीं खड़ी थी और खुद से कुछ कह रही थी:-

“हाल-ए-दिल हमारा हो रहा है जग-जाहिर,

 एक वो हैं जिन्हें खबर भी नहीं अब तक,

 ये राज-ए-दिल है अब खुलने वाला शायद,

 आखिर हम इसे अब छुपाएंगे भला कब तक।”

क्रमश:


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